कोलकाता बलात्कार और हत्याकांड पर भारत के मुख्य न्यायाधीश को संगठनों का खुला पत्र

अब नारीवादी आंदोलनों और लोगों के विरोध को हाईजैक (अपहरण) करने की बेतहाशा कोशिश की जा रही है। हम सत्तारूढ़ राष्ट्रीय पार्टी की चुनावी राजनीति में अंतर्निहित पितृसत्तात्मक चालों, जाति और सांप्रदायिक अत्याचारों को उजागर करने के लिए दृढ़ हैं।

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डर लगता है कि मेरा वैचारिक बदलाव आपको पसंद नहीं आएगा: शिक्षक के नाम एक विद्यार्थी का पत्र

मेरी भी इच्छा थी कि यदि मैं लिख दूंगा तो यह बातें आप तक भी पहुंच जायेंगी। सर, मेरी इच्छा रहती है कि मैं आपको अपना लिखा हुआ पढ़कर सुनाऊं और आप कहें कि ”तुम्हारी चिट्ठी सुनने का सुख मिला।”

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महिला समूहों का चीफ जस्टिस को खुला पत्र- इस्तीफा दीजिए, देश की महिलाओं से माफी मांगिए!

पत्र में लिखा गया है कि मुख्‍य न्‍यायाधीश के पास इस देश के संविधान की व्‍याख्‍या करने की ताकत है, बावजूद इसके यह अफ़सोस की बात है कि उन्‍हें ‘’सिडक्‍शन’’, ‘’रेप’’ और ‘’विवाह’’ का अर्थ हमें समझाना पड़ रहा है।

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मत भूलिए, आपकी मातृसंस्था भी एक शताब्दी से आंदोलन ही कर रही है: एक आंदोलनकारी का PM के नाम खुला पत्र

अंग्रेजों के खिलाफ महात्मा गांधी, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस जैसे लोगों ने भी आजादी के लिए आंदोलन किया, तो क्या वे भी आपकी नज़र में आंदोलनजीवी हैं? ढाई महीने से अधिक हो गए, देश का किसान दिल्ली की सड़कों पर कड़कड़ाती ठंड में पड़ा है। अपने वाजिब हक के लिए सरकार के सामने हाथ फैलाना गुनाह है?

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भाकियू के प्रमुख बलबीर सिंह राजेवाल का किसानों के नाम खुला पत्र

आंदोलन तभी सफल होता है जब वह पूरी तरह से शांत हो। जब भी आंदोलन में हिंसा होती है, वह ढहने लगती है। इसे अब तक शांतिपूर्ण रखने के लिए आप सभी को धन्यवाद। आंदोलन हमेशा चरणों में आगे बढ़ते हैं।

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UP: अंतर धार्मिक विवाह संबंधित अध्यादेश वापस लेने के लिए CCG ने लिखा मुख्यमंत्री को खुला पत्र

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की ओर से 28 नवंबर को पारित उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 के तहत अंतरधार्मिक विवाह के लिए अनुमति लेना अनिवार्य बना दिया गया है.

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हाथरस कांड पर 92 रिटायर्ड नौकरशाहों का योगी आदित्यनाथ को खुला पत्र

ऐसा तो नहीं लगता कि आपको देश के विधि-नियम व विधि-संगत प्रक्रिया पर बहुत विश्वास है फिर भी हमारा आपसे अनुरोध है कि भारत के जिस संविधान के प्रति आदर और निष्ठा की शपथ आपने पद ग्रहण करते समय ली थी, उसकी मूल भावनाओं और विधि-विधान के अनुसार अपने प्रशासन को संचालित कराने की कृपा करें।

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काश, कोई मजदूर अनुवादक होता तो तुम अभागे न होते, मेरे मजदूर साथियों!

क्या तुम्हें लेनिन के बारे में पता है? मुझे पता है। उनके संकलित कार्य 40 अंकों में प्रकाशित हुए हैं, एक का मूल्य 2,000 रुपए है। क्या कभी उनको, अपने भाग्यविधाता को पढ़ पाओगे? इसलिए अभागे हो तुम।

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