कोरोना काल में बच्चों की शिक्षा की चुनौती पर सांसदों के साथ RTE फोरम का वर्चुअल संवाद

फोरम द्वारा पेश 13 सूत्री मांगों के मद्देनजर सांसदों ने एक स्वर से अफसोस जताया कि जब शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त वित्तीय जरूरत थी, तब वर्ष 2021 में शिक्षा के राष्ट्रीय बजट में भारी कटौती की गई। कोरोना की पहली लहर के बाद अतिरिक्त सहायता नहीं मिलने की स्थिति में भारत के ग्रामीण इलाकों के 64% बच्चों की पढ़ाई बीच में ही छूट जाने की आशंका को लेकर उन्होंने गहरी चिंता जताई।

Read More

कोरोनाकाल में स्कूली शिक्षा के अभाव ने बच्चों का भविष्य अंधेरे में छोड़ दिया है

आभासी कक्षा उनके लिए वरदान सिद्ध हुई हैं जो घर बैठे पढ़ना चाहते हैं-जैसे विवाह के बाद तमाम लड़कियों की शिक्षा बाधित हो जाती है, तो वे इसका लाभ ले सकती हैं। पैर टूट जाए तो भी कोई छात्र घर पर कक्षाएं कर सकता है पर सामान्‍य स्थिति में बच्चों के लिए यह बिल्कुल कारगर नहीं है। गाँधी जी ने जो ट्रिपल एच (मस्तिष्क, हृदय और हाथ) के विकास की अवधारणा दी है उसमें यह बिल्कुल असफल है। ऑनलाइन कक्षा केवल विकल्प है, इससे केवल काम चलाया जा सकता है, यह पूर्ण समाधान नहीं है।

Read More

स्कूली शिक्षा का गहराता संकट और डिजिटल स्पेस में लटके बच्चों का भविष्य

जब ऑनलाइन कक्षाओं के सुचारू संचालन के दावे केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा बड़े जोर-शोर से लगातार किए जा रहे हैं तब यह यह दुःखद एवं चिंतनीय स्थिति कैसे बन गयी है?

Read More

भारत के गांवों में कैसे सफल होगी ऑनलाइन शिक्षा?

अगर सरकार की नीतियों की दिशा ये है कि डिजिटल एजुकेशन से काम चलाया जाएगा, तो इसके लिए तीन कदम उठाने होंगे. एक, देश में इंटरनेट और स्मार्टफोन की सुविधा का विस्तार करना होगा और लैपटॉप या टैबलेट हर छात्र को मिल सके, ऐसी व्यवस्था करनी होगी. दो, छात्रों से भी पहले शिक्षकों को डिजिटल एजुकेशन के लिए तैयार करना होगा और उनकी ट्रेनिंग करानी होगी. तीन, डिजिटल एजुकेशन के लिए सिलेबस को बदलना होगा और नए टीचिंग मैटेरियल तैयार करने होंगे.

Read More