UP चुनाव: अखबारों, प्रत्याशियों और प्रशासन ने मिल कर कैसे उड़ायी आदर्श आचार संहिता की धज्जियां

सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के बांगरमऊ, उन्नाव से प्रत्याशी अनिल कुमार मिश्र के मुताबिक हफीजाबाद में 22 फरवरी 2022 को चुनाव से पहले वाली शाम भाजपा के लोगों द्वारा पैसे बांटे गए। अनिल कुमार मिश्र ने उन्नाव जिले के चुनाव अधिकारी को रात सवा नौ बजे लिखित शिकायत भेजी।

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गाँधी की हत्या का सिलसिला जारी है…

गाँधीजी के प्रति नफ़रत या घृणा कोई नयी परिघटना नहीं है लेकिन जो नफरत पहले कहीं थोड़ी दबी हुई थी अब वो खुलकर बाहर आ रही है क्योंकि इन नफरती ताकतों के लिए मीडिया अनुकूल वातावरण मुहैया करा रहा है।

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क्या भारत का जनतंत्र फ़ेसबुक-ग्रस्त हो चुका है?

एक विशालकाय कम्पनी की सक्रियताओं को जानने के लिए जांच जरूरी ही है, लेकिन हमें लिबरल जनतंत्र के भविष्य के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए, जिसकी तरफ प्रोफेसर डीबर्ट ने इशारा किया है।

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डिक्टा-फ़िक्टा: नाराज़गी, नफ़रत और नकार से ही चलता है सोशल मीडिया का कारोबार

अपने धंधे को चमकाने के लिए सोशल मीडिया जिस मानवीय भावना का दोहन करता है, वह है नाराज़गी और नफ़रत. इस बारे में कई शोध हो चुके हैं. यही भावना पोस्ट या ट्वीट के वायरल होने को संभव बनाती है और इसे प्रोमोट कर प्लेटफ़ॉर्म अपना इंगेजमेंट बूस्ट करते हैं.

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नफरत बेचो, मुनाफ़ा कमाओ: फेसबुक की इंडिया स्‍टोरी और उससे आगे

दुनिया भर में फेसबुक की जितनी आलोचना हो रही है, उससे यह मुमकिन भी है कि वह अपने अन्दर के दक्षिणपंथी तत्वों पर लगाम लगाने का प्रयास करे, लेकिन यह मान लेना बेवकूफी की इन्तहा होगी कि कहानी का यही अन्त है।

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रेडियो रवांडा जैसी भूमिका निभा रहा है भारतीय मीडिया, नतीजे ख़तरनाक हो सकते हैं

गृह मंत्रालय आखिर किस बात का इंतज़ार करता रहा जबकि उसको मालूम था कि हमारे यहां विदेशी नागरिक फंसे हुए हैं।

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