स्टेन स्वामी की हत्‍या इस लोकतंत्र की हत्‍या का एक रूपक है!

जिन तमाम चीजों के भरोसे हम खुद को एक लोकतंत्र कहते हैं, वह सब कुछ खत्‍म किया जा रहा है। बेशक उतना धीरे-धीरे नहीं, जैसे फादर स्‍टेन स्‍वामी मारे गये। उनकी हत्‍या इस लोकतंत्र की हत्‍या का एक महीन रूपक है। हम पर नरपिशाचों का राज है। इस धरती पर उनका शाप फल रहा है।

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न्याय की अवधारणा, मानवाधिकार और विलंबित न्याय: संदर्भ BK-16

अदालती फैसलों में पांच-छह साल लगना तो सामान्य-सी बात है, पर यदि बीस-तीस साल में भी निपटारा न हो तो आम लोगों के लिए यह किसी नारकीय त्रासदी से कम नहीं है। वैसे तो न्याय का मौलिक सिद्धांत यह है कि ‘न्याय में विलंब होने का मतलब न्याय को नकारना है’।

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श्रद्धांजलि: आज आदिवासियों के हक में उठने वाली एक आवाज़ मौन हो गयी!

चौरासी वर्षीय फादर स्टेन स्वामी जीवन भर दलित आदिवासियों के लिए कार्यरत रहे। जेल जाने से पूर्व वे लगातार सभी सामाजिक मुद्दों पर सरकार के सामने हमेशा खड़े हुए। हमेशा गांधी के मूल्यों को लेकर अहिंसक रास्ते को सही मानते हुए वे काम करते रहे।

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रिलायंस में हड़ताल के केस में MEEU के पांच सदस्यों को UAPA में तीन साल बाद ज़मानत

इन सभी पर आरोप था कि इन्‍होंने 19 दिसंबर 2017 को रिलायंस के सभी कर्मचारियों की ओर से एक हड़ताल का आयोजन किया जिसमें एक कर्मचारी की मौत हो गयी थी क्‍योंकि उसे ईएसआइ के तहत इलाज की सुविधा नहीं मिली थी। इसके बाद उन पर एक आतंकवादी को पनाह देने और एक प्रतिबंधित संगठन के लिए फंड जुटाने के अतिरिक्‍त चार्ज लगाये गये थे।

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कवि वरवरा राव को ज़मानत, दिशा रवि और नवदीप कौर की याचिका पर फैसला टला

नवदीप कौर की ज़मानत याचिका पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट के समक्ष लगी थी। इसमें 24 फरवरी की अगली तारीख सुनवाई के लिए मिली है।

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भीमा कोरेगांव: रोना विल्‍सन का लैपटॉप हैक कर के डाली गयी थीं 52 फाइलें, US एजेंसी का उद्घाटन

आर्सेनल के प्रेसिडेंट के अनुसार भीमा कोरेगांव केस में कागज़ात की जांच का केस साक्ष्‍यों से छेड़छाड़ का अब तक का सबसे बड़ा केस है जो उनके सामने आया है। वॉशिंगटन पोस्‍ट की खबर में पूरी रिपोर्ट को डाउनलोड करने की सुविधा है।

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एक लड़ाई मुहब्बत की: यलगार परिषद 2021 में अरुंधति रॉय का भाषण

हमें उन फंदों से सावधान रहना होगा, जो हमें सीमित करती हैं, हमें बने-बनाए स्टीरियोटाइप सांचों में घेरती हैं. हममें से कोई भी महज अपनी पहचानों का कुल जोड़ भर नहीं है. हम वह हैं, लेकिन उससे कहीं-कहीं ज्यादा हैं. जहां हम अपने दुश्मनों के खिलाफ कमर कस रहे हैं, वहीं हमें अपने दोस्तों की पहचान करने के काबिल भी होना होगा. हमें अपने साथियों की तलाश करनी ही होगी, क्योंकि हममें से कोई भी इस लड़ाई को अकेले नहीं लड़ सकता.

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गौतम नवलखा का चश्‍मा: बंबई HC ने कहा- इंसानियत से बड़ी चीज़ कुछ भी नहीं है!

गौतम का चश्‍मा जेल में 27 नवंबर को चोरी हो गया था। उसके बाद तीन दिन तक उन्‍हें अपने परिवार फोन नहीं करने दिया गया। उनकी पत्‍नी ने बाद में जब चश्‍मा डाक से भेजा, तो जेल अधिकारियों ने उसे लेने से इनकार कर दिया।

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भीमा कोरेगाँव: गिरफ्तारियों के आईने में राजनीति और पुलिसबल का चरित्र-परिवर्तन

ऐमनेस्टी इंटरनेशनल की डिजिटल-सिक्युरिटी टीम, ऐमनेस्टी टेक, ने बाद में यह खोज की कि इनमें से एक कंप्यूटर में मालवेयर मौजूद था जिससे उसमें दूर से घुसपैठ करना संभव था। इस आधार पर उन्होंने यह आरोप लगाया कि ये पत्र ‘प्लांटेड’ हो सकते हैं। ये पत्र गढ़ंत होंगे, इस आरोप को खारिज नहीं किया जा सकता, यह देखते हुए कि नक्सलियों के संचार [पत्राचार] ज़बरदस्त कूट-भाषा में होते हैं।

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स्वास्थ्य के आधार पर अधिवक्ता सुधा भारद्वाज की ज़मानत याचिका SC से खारिज

सर्वोच्च न्यायालय में आने से पहले बेल को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की विशेष अदालत ने खारिज किया था। मुंबई उच्च न्यायालय ने भी उसी फैसले को सुरक्षित रखा। इसकी खामियों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में मुंबई हाई कोर्ट के 28 अगस्त के आदेश को चुनौती दी गयी थी।

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