
बात बोलेगी: लोकतंत्र के ह्रास में बसी है जिनकी आस…
एक बड़ा वर्ग ऐसे ही तैयार हुआ है, जिसके लिए पूरी व्यवस्था के जो सह-उत्पाद यानी बाय-प्रोडक्ट हैं वे उसी के उपभोक्ता के तौर पर तैयार किये गये हैं
Read MoreJunputh
एक बड़ा वर्ग ऐसे ही तैयार हुआ है, जिसके लिए पूरी व्यवस्था के जो सह-उत्पाद यानी बाय-प्रोडक्ट हैं वे उसी के उपभोक्ता के तौर पर तैयार किये गये हैं
Read Moreसवाल सिर्फ यह है कि सामाजिक न्याय का प्रतिनिधित्व करने वाले दोनों राजनीतिक दलों में जिस परशुराम की प्रतिमा लगाने की होड़ मची है उसे लोग किस रूप में जानते हैं और उनकी क्या सामाजिक विरासत है?
Read Moreवुहान में अप्रैल 2020 तक ठीक हो चुके कोरोना वायरस संक्रमित लोगों पर हुए इस सर्वे ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है। सर्वे के पहले चरण के परिणामों में कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक हुए मरीजों में 90 फीसद के फेफड़ों का वेंटिलेशन और गैस एक्सचेंज फंक्शन काम नहीं कर रहा है।
Read Moreचीन में मानवाधिकार की बात करना या फिर एकदलीय शासन के अंत और लोकतंत्र की स्थापना की बात करना जुर्म है, राजद्रोह है और इसलिए आज भी हज़ारों बुद्धिजीवी, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील आदि वहां की जेलों में क़ैद हैं, यातना झेल रहे हैं या फिर अन्य देशों में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
Read Moreप्रधानमंत्री जी ने ब्राह्मणवाद की दीवार पर अपने नाम का शिलापट्ट लगवा दिया और इस प्रकार उन्होंने भारतीय जनता को एक संदेश दिया कि ये ऐसे लोग हैं जो सत्ता के सहयोग से जितना भी उपद्रव मचा लें लेकिन जनता चाहे तो अपनी सरकार बनाकर इन्हें पूरी तरह ध्वस्त कर सकती है।
Read Moreछोटी सरयू का जी जाना यह यकीन दिलाता है कि जो समाज अपनी विरासतों को संभालकर रखना चाहता है, जिसके लिए नदी की पूजा कर्मकांड नहीं है, असल में वही समाज जीवित है.
Read Moreलक्ष्य अयोध्या नहीं है। राम का मंदिर नहीं है। रामराज तो कतई नहीं है। रामराज सामाजिक न्याय के खिलाफ उछाला गया ऐसा जुमला है जिसके झांसे में आकर ओबीसी ने माथे से रामनामी बांध ली है। लक्ष्य है सामाजिक न्याय की पुकार को धर्म की मिट्टी के नीचे दफन कर देना।
Read Moreवरिष्ठता भी एक उपलब्धि है। जिनको ये उपलब्धि मिलती है, वे इसका महत्व जानते हैं। इस उपलब्धि को प्राप्त करने के बाद उनकी मन:स्थिति पर कवि कैलाश गौतम का प्रकाश डालता हूँ- “मनै मन छोहारा मनै मन मुनक्का”।
Read Moreकस्टम के अधिकारियों ने 2014 में दो दफ़ा, एक बार 2015 और 2017 में तथा दो बार 2016 में न्यायालय को मसले को सुलझाने के लिए लिखा था, जिसमें इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटकों के रखने के ख़तरे को साफ़-साफ़ ज़ाहिर किया गया था.
Read Moreयही सब सोचते हुए और राम को याद करते-करते मैं भी पूरे देश की तरह सो गया. तभी अचानक राम-राम कहते हुए राम जी मेरे सपने में आए. बोले, “कैसे हो ‘प्रच्छन बौद्ध’ रघुवंशी? हमें क्यों याद किया?”
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