
तिर्यक आसन: आज़ादी की दुकान सज गयी है…
दुकानों पर चौबीस घंटे देशभक्ति फहरा रही है। दसों दिशाओं से हवा चल रही है। देशभक्ति भी दसों दिशाओं में खड़ी है। किसी का सिर हिमालय की चोटी की तरह तना हुआ है। किसी का सिर नीचे बह रही नाली के मुँह में जाने को है।
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