चुनावीबिहार-2: सौ लुकार, एक लबार, हवाई सौगात झारमझार

लालू प्रसाद को खुद उनके बेटे ने वनवास दे दिया है। कोर्ट भले ही उनको अक्टूबर के अंत में रिहा करने को तैयार हो गया है, लेकिन तेजस्वी ने अभी ही उनको मुक्त कर दिया है। आरजेडी के पोस्टर्स में इस बार उनके सबसे बड़े आइकन लालू प्रसाद यादव मौजूद नहीं हैं।

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नरेंद्र मोदी को ‘राजधर्म’ सिखाने वाले दिवंगत ‘भारत रत्‍न’ के राज में विनिवेश घोटाला

खबर है कि सीबीआइ की जोधपुर स्पेशल कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी सहित कुछ लोगों पर तुरंंत मुकदमे दायर करने का आदेश दिया है. यह उदयपुर के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल को कौड़ी के मोल बेच देने जैसे कारनामे के लिए किया गया है. श्री शौरी के विनेवेश मंत्री होते यह काम हुआ था.

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चुनावीबिहार-1: भाजपा के एप्‍पल और ब्‍लूटूथ में फंसी संघ की धोती

भाजपा में ओल्ड गार्ड के नाम पर संघ के धोतीछाप प्रतिनिधि हैं, तो चुनावी कमान युवा एप्पलधारी रंगरूटों ने संभाल रखी है। यहां कम्युनिकेशन गैप की वजह से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ रहा है। भाजपा ने कॉरपोरेट स्टाइल में पूरे चुनाव को रंग दिया है।

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राजनीति या लोकनीति? विनोबा के जन्‍मदिवस पर याद रखने लायक कुछ सबक

लोकनीति के बिना लोकतंत्र ठहर नहीं सकता है और न ही लोकसत्ता चरितार्थ हो सकती है। किसी भी समाज व राष्ट्र के नागरिकों के चरित्र का आधार ही लोकनीति है।

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तीन साल हो गया लेकिन वाल्‍व आज भी बंद है…

प्रिंसिपल वापिस आये और वापिस से पानी की समस्या के बारे में हमसे पूछा! हमने भी वही उत्तर दिया जो वो सोच रहे थे! मैं वापिस लौट रहा था और हैरान था ये सोचकर कि वाल्व खोलने पर वो पानी तो आ जाएगा परन्तु अपनों को ऊपर उठाने हेतु किये गये इस कार्य से प्राचार्य साहब का पानी हमारी आँखों से उतर गया था!

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हिंदुत्‍व की सांस्‍कृतिक गुलामी से आज़ादी का रास्‍ता पेरियार ललई सिंह से होकर जाता है

ललई सिंह जी ने अपने वक्तव्य, कृतित्व, रचना, और प्रयासों से हजारों साल की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक गुलामी से मुक्ति का रास्ता प्रशस्त किया। 80 और 90 के दशक तथा इक्कीसवीं सदी में उनके वारिसों ने उसके खिलाफ जाते हुए पूरी तरह से उस सामाजिक आंदोलन एवं जन जागरूकता के लंबे कार्यक्रम को रोक सा दिया है।

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बी.पी. मण्‍डल: एक मुसहर को सांसद बनाने वाला ओबीसी समाज का मसीहा

सामाजिक न्याय और सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई के तत्कालीन नेतृत्वकर्ता बी. पी. मण्डल का जन्म 25 अगस्त, 1918 को बनारस में हुआ था। बी. पी. मण्डल का जन्म जब हुआ तो उनका परिवार बहुत ही बुरे दौर से गुजर रहा था।

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अब जनता खुद खांड़ा खड़काए!

यह सही है कि हम दुनिया की पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं लेकिन यह मोर का नाच है क्योंकि 1 प्रतिशत सेठों के हाथ में देश की 60 प्रतिशत संपदा है।

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अरुण पुरी, रोहित सरदाना व संबित पात्रा पर क्यों न चले राजीव त्यागी की हत्या का मुकदमा?

जब बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा राजीव त्यागी को जयचंद जयचंद कहकर अपमानित कर रहे थे तो एक बार भी सरदाना ने पात्रा को नहीं रोका.

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एक महामारी का आविष्कार: इतालवी दार्शनिक जॉर्जो आगम्बेन का चर्चित ब्‍लॉग

इतालवी दार्शनिक जॉर्जो आगम्बेन कोविड के दौर में चर्चा में रहे हैं। अकादमिया में संभवत: वे पहले व्यक्ति थे, जिसने नावेल कोरोना वायरस के अनुपातहीन भय के खिलाफ आवाज़ उठाई। कोविड से संबंधित उनकी टिप्पणियों का हिंदी अनुवाद प्रमोद रंजन की शीघ्र प्रकाश्य पुस्तक “भय की महामारी” के परिशिष्ट में संकलित है।

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