‘’एक नया अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य तंत्र निर्मित होने की प्रक्रिया में है’’– प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल ने आज सम्पन्न हो रहे चार दिवसीय वैक्सीन अंतरराष्ट्रीयतावाद शिखर सम्मेलन पर यह घोषणा की। अर्जेंटीना, मेक्सिको, बोलीविया, क्यूबा और वेनेजुएला की सरकारों सहित किसुमु (केन्या) और भारत से केरल की प्रांतीय सरकारों ने इस सम्मेलन में 20 देशों से आये राजनेताओं, स्वास्थ्यकर्मियों, वैक्सीन निर्माताओं और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ हिस्सा लिया। इन सब ने मिलकर वैक्सीन अंतरराष्ट्रीयतावाद को आगे बढ़ाने की दिशा में ठोस प्रतिबद्धताएं जतायी हैं।
वैक्सीन के मामले में बरते जा रहे भेदभाव की प्रतिक्रिया में चार दिन का यह सम्मेलन आपात स्थिति में बुलाया गया था। दुनिया भर में जितने भी टीके दिये गये हैं, उनमें 85 फीसद उच्च और उच्च-मध्य आय वाले देशों को दिये गये हैं। केवल 0.3 फीसद खुराकें निम्न आय वाले देशों को दी गयी हैं। इस रफ्तार से टीकाकरण चलता रहा तो महामारी दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में तगाही मचाती रहेगी और अगले 57 वर्ष तक दुनिया बेहद नाजुक स्थिति में रहेगी।
महामारी का अंत करने के लिए दवाओं के उत्पादन और वितरण में तेजी लाने के लिए जिन पांच प्रमुख क्षेत्रों में प्रतिबद्धता जतायी गयी है, वे निम्न हैं:
- कोविड-19 की वैक्सीन प्रौद्योगिकी में गठबंधन का आगाज़
- कोविड-19 की दवाओं की कीमत निर्धारण में एकजुटता
- घरेलू उपयोग के लिए कोविड-19 की वैक्सीनों को मंजूरी देने के लिए नियामक क्षमताओं को साझा किया जाना
- वैक्सीन और मेडिकल उपकरणों के उत्पादन में तेजी लाने के लिए निर्माण क्षमताओं को साझा किया जाना
- विश्व व्यापार संगठन की शह पर थोपे जा रहे बिग फार्मा के एकाधिकार को चुनौती देने के लिए सामूहिक अवज्ञा
इन प्रतिबद्धताओं की सराहना करते हुए सम्मेलन की संयोजक और प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल की कैबिनेट सदस्य वर्षा गंडिकोटा-नेलुतला ने कहा:
स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नयी विश्व व्यवस्था का निर्माण हो रहा है। यह वैक्सीन के मामले में किये जा रहे भेदभाव से निपटने के लिए बहुत ज़रूरी था जो कि हमारे वजूद के लिए ही खतरा बन गया है और दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों की सम्प्रभुता को चुनौती देते हुए इस वायरस के और भी जानलेवा म्यूटेशन का खतरा पैदा कर रहा है। राष्ट्रवाद से अंतरराष्ट्रीयतावाद, प्रतिस्पर्धा से सहयोग, चैरिटी से सॉलिडरिटी की ओर मुड़ने के लिए राष्ट्रों, संस्थानों, कंपनियों और जनता की ओर से एक समेकित प्रयास की सख्त ज़रूरत है। इस शिखर सम्मेलन के दौरान हमने देखा कि प्रतिभागियों ने कुछ शुरुआती साहसिक कदम उठाते हुए सम्प्रभुता, एकजुटता और जीवन के सार्वभौमिक अधिकार के सिद्धांतों के आधार पर अपने राष्ट्रीय संसाधनों को सामूहिक लाभ के लिए साझा करने की प्रतिबद्धता जतायी है।
जो नयी अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य व्यवस्था कायम होगी, उसमें 1970 के दशक में दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से रखे गये उन प्रस्तावों की अनुगूंज निहित है जो न्यू इंटरनेशनल इकनॉमिक ऑर्डर के रास्ते आने वाले आर्थिक साम्राज्यवाद और निर्भरता को अंत करने का आह्वान करते थे।
इन प्रतिबद्धताओं को हकीकत में बदलने के लिए और ज्यादा सहयोग कायम करने की दिशा में प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल आगे औ बैठकें आयोजित करेगा। इन बैठकों में कोशिश होगी कि प्रतिभागियों के बीच क्षमताओं के प्रस्तावित एकीकरण और मौजूदा गठबंधन के लिए एक फ्रेमवर्क उपलब्ध कराया जाए और इस उभरते हुए गठबंधन को व्यापकता देते हुए वैक्सीन अंतरराष्ट्रीयतावाद के दायरे में अन्य राष्ट्रों, वैक्सीन निर्माताओं और राजनीतिक ताकतों को शामिल किया जाए।