पंजाब चुनाव में गायब होता कॉरपोरेट वर्चस्व का मुद्दा

आंदोलन का मुख्य जोर कॉर्पोरेट जगत को कृषि क्षेत्र पर नियंत्रण करने से रोकना था। उस समय लगभग सभी राजनीतिक दल इस बात पर सहमत थे कि इन तीन कृषि कानूनों के अंतर्गत कॉरपोरेट्स का कृषि पर पूर्ण अधिकार हो जायेगा। अपने पंजाब दौरे के दौरान राहुल गांधी को यह कहने के लिए मजबूर होना पड़ा कि मोदी सरकार कठपुतली सरकार थी और कॉरपोरेट्स के हितों की सेवा कर रही थी। दुख की बात है कि कृषि और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में कॉर्पोरेट वर्चस्व को रोकने के मुद्दे का उल्लेख किसी भी राजनीतिक दल ने अपने चुनाव प्रचार या चुनावी घोषणापत्र में भी नहीं किया है।

Read More

किसान आंदोलन की मांगें WTO की उन शर्तों के विरोध में हैं जिन पर भारत सरकार पहले ही सहमति दे चुकी है!

जनता को अब यह मांग करनी ही पड़ेगी कि भारत सरकार विश्‍व व्‍यापार संगठन से अपने पांव वापस खींचे, उसके चंगुल से राष्‍ट्रीय अर्थव्‍यवस्‍था से जुड़े फैसलों को मुक्‍त करे और देश को बहुराष्‍ट्रीय साम्राज्‍यवादी कंपनियों के बजाय जनता की हित में चलाए।

Read More

टिकरी बॉर्डर पर महिलाओं ने किया मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, फूंका IMF-WTO का पुतला

भारत की किसान महिलाएँ, आज यह पुतला जला कर आईएमएफ, डबलयूटीओ और विश्व बैंक जैसे बहुराष्ट्रीय निगमों के कठपुतली संगठनों को चेतावनी देते हैं कि यदि वे भारत के आंतरिक और नीतिगत मामलों में दख़ल करना बंद नहीं करते हैं, तो अंबानी अडानी के कार्यालयों की तरह, इन संगठनों के दफ़्तरों के घेराव का निर्णय भी लिया जा सकता है।

Read More