पंजाब चुनाव में गायब होता कॉरपोरेट वर्चस्व का मुद्दा

आंदोलन का मुख्य जोर कॉर्पोरेट जगत को कृषि क्षेत्र पर नियंत्रण करने से रोकना था। उस समय लगभग सभी राजनीतिक दल इस बात पर सहमत थे कि इन तीन कृषि कानूनों के अंतर्गत कॉरपोरेट्स का कृषि पर पूर्ण अधिकार हो जायेगा। अपने पंजाब दौरे के दौरान राहुल गांधी को यह कहने के लिए मजबूर होना पड़ा कि मोदी सरकार कठपुतली सरकार थी और कॉरपोरेट्स के हितों की सेवा कर रही थी। दुख की बात है कि कृषि और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में कॉर्पोरेट वर्चस्व को रोकने के मुद्दे का उल्लेख किसी भी राजनीतिक दल ने अपने चुनाव प्रचार या चुनावी घोषणापत्र में भी नहीं किया है।

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किसानों और खेतिहर मजदूरों की खुदकुशी: पंजाब की जमीनी हकीकत बनाम सरकारी आँकड़े

हर दिन 2500 किसान खेती छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। अब तीन नये कृषि कानूनों के चलते बड़े किसान भी खेती से बाहर हो जाएंगे। इस तरह किसानों को खेती से अलगाव में डालने की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और कॉरपोरेट सेक्‍टर का रास्‍ता आसान हो जाएगा।

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