लगातार धधक रही है उत्तराखंड के जंगलों में आग, चपेट में 11 जिले, वायुसेना काम पर

नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, हरिद्वार और रुद्रप्रयाग जिले ज्यादा प्रभावित हुए हैं। आग बेकाबू होती गई है, जिससे ग्रामीण दहशत में हैं और कई वन्य जीवों का जीवन संकट में है।

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फूलदेई: फूलों और फूल जैसे बच्चों के नाम पहाड़ों का एक त्योहार

यह पर्व सर्दी का अंत और हल्की-हल्की गर्मी का आगाज़ होता है, जब मौसम अधिक रोमांचित हो जाता है, जिस समय हर पहाड़ों पर नए-नए फूलों-पौधों का जन्म होते दिखता है। बुरांश और बासिंग के पीले, लाल, सफेद फूल और और इन्हीं फूलों की तरह बच्चों के खिले हुए चेहरे…

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चमोली हादसे पर अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समूह के कुछ शुरुआती निष्कर्ष

एक उल्लेखनीय साझे प्रयास में पर्वतों पर ग्लेशियर और पेराफ्रॉस्ट से जुड़े खतरों को समझने वाले एक अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय वैज्ञानिकों के समूह ने उत्तराखंड में बीती 7 फरवरी को आयी आपदा के कारणों का आकलन किया है। उनके इस आकलन में तमाम महत्वपूर्ण बातें सामने आयीं हैं जो कि हमारी पर्वतीय आपदाओं के बारे में समझ को बढ़ाती हैं।

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पंचतत्व: विकास को संतुलन चाहिए और चैनलों को विज्ञान रिपोर्टर वरना ग्लेशियर ‘टूटते’ रहेंगे!

ग्लेशियर, मोरेन और ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) के बीच के अंतर को बताते हुए अगर रिपोर्टिंग होती तो लगता कि पर्यावरण को लेकर हमारा मीडिया साक्षर है. ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे टीवी चैनलों को विज्ञान रिपोर्टरों की सख्त जरूरत है.

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योजनाकारों, ठेकेदारों, नेताओं, सरकारों द्वारा आमंत्रित आपदा में शहीद हुए लोगों के लिए एक शोक वक्तव्य

ग्लेशियर टूटने की बात जमकर के प्रचारित हो रही है, किंतु हिमालय की नाजुक पारिस्थितिकी में इतनी बड़ी परियोजनाओं को बनाने की, अनियंत्रित विस्फोटकों के इस्तेमाल की, जंगलों को काटने की, पर्यावरणीय कानूनों व नियमों की पूरी उपेक्षा पर न सरकारों का कोई बयान है न कहीं और ही चर्चा हुई।

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उत्तराखंड का स्पार्टकस : त्रेपन सिंह चौहान

जन आन्दोलनों में रहकर जो साहित्य उन्होने रचा है वो कल्पना की डोर के बजाय धरातलीय विषयों से जीवंत होकर, सामाजिक-राजनैतिक अन्याय के खिलाफ बोधगम्य और किस्सागोई रचना शैली में मुखरित हुआ है।

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उत्तराखण्ड: बंदी में बेरोज़गार हुए लोगों को पीएम केयर्स फंड से हर माह दस हज़ार देने की मांग

उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी ने दिया मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन

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उत्तराखण्ड की उलटबांसी: घर बैठे भूख हड़ताल की तो धारा 144 तोड़ने और संक्रमण फैलाने के आरोप में केस

उत्तराखण्ड पुलिस की मानें तो भारतीय दंड संहिता यानी आइपीसी की धारा 188, 269, 270 और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 उन लोगों पर लागू होती है जो घर बैठे भूख हड़ताल करते हैं। यह मामला उत्तराखण्ड के एक युवा सामाजिक कार्यकर्ता महेश पर लगाये गये मुकदमे में सामने आया है।

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