तन मन जन: महामारी से भी बड़ी बीमारी है लॉकडाउन से उपजी गरीबी
कोरोनाकाल में सामूहिक तौर पर भारत के आम लोगों की स्थिति इसी मरणासन्न मरीज की तरह हो गई है जिसे अपनी जिन्दगी भी बचानी है। सवाल अस्तित्व का है। संकट विकट है।
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कोरोनाकाल में सामूहिक तौर पर भारत के आम लोगों की स्थिति इसी मरणासन्न मरीज की तरह हो गई है जिसे अपनी जिन्दगी भी बचानी है। सवाल अस्तित्व का है। संकट विकट है।
Read Moreइस लेख में मैं हजारों साल पुरानी महामारी मलेरिया की चर्चा करूंगा। 50,000 साल पुरानी यह महामारी अब अपने खौफनाक दौर में है!
Read More8 अगस्त, 2020 को अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन (एप्सो), जोशी-अधिकारी इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज़ (जे.ए.आई.एस.एस) तथा इंडियन डॉक्टर्स फॉर पीस एंड डेव्लपमेंट (आई.डी.पी.डी) द्वारा आयोजित वेबिनार में अपने वक्तव्य की शुरुआत भारत में क्यूबा के राजदूत ऑस्कर मार्टिनेज़ ने की
Read Moreआपकी बीमारी की प्रोफाइल, क्लिनिकल जांच रिपोर्ट, इलाज का विवरण आदि। अब तक आपके स्वास्थ्य और क्लिीनिकल जांच का विवरण डाक्टर की अनुशंसा पर आपके पास हार्ड कॉपी के रूप में होता था। अब यह डिजिटल डेटा के रूप में आपके डिजिटल हेल्थ ब्लूप्रिंट में दर्ज होगा।
Read Moreजब देश की जनता प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर ताली और थाली बजा रही थी तभी कोरोना वायरस देश में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा था। उनके अगले राष्ट्रीय प्रसारण …
Read Moreवर्ष 2019-20 में भारत में रूपये 1765 प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर औसतन खर्च किया जा रहा था, यानि मात्र रूपये 3.50 प्रति व्यक्ति प्रतिदिन का खर्च। उन्होंने कहा कि सरकार ने सरकारी स्वास्थ्य खर्चों में कटौती करने के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण को नीतिगत बढ़ावा दिया। देश के कुछ राज्य तो सिर्फ निजी स्वास्थ्य सेवाओं के हवाले कर दिए गए हैं जिसके चलते सामान्य स्वास्थ्य सेवाएं खुले बाजार की व्यवस्था में लूट का माध्यम बन गई हैं।
Read Moreपब्लिक सर्विसेज इंटरनेशनल की एशिया पसिफ़िक सचिव केट लेप्पिन ने कहा कि यदि सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली पूर्ण रूप से सशक्त होती तो कोविड-19 महामारी के समय यह सबसे बड़े सुरक्षा कवच के रूप में काम आती. आर्थिक मंदी से बचाने में भी कारगर सिर्फ पूर्ण रूप से पोषित सरकारी सेवाएँ ही हैं जिनको पिछले 40 सालों से नज़रअन्दाज़ किया गया है.
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