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तन मन जन: कोरोना ने प्राइवेट बनाम सरकारी व्यवस्था का अंतर तो समझा दिया है, पर आगे?
स्वास्थ्य और उपचार का सवाल जीवन से जुड़ा है और यह हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। स्वास्थ्य सेवाओं को निजीकरण के जाल से बाहर निकाले बगैर आप स्वस्थ मानवीय जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। अभी भी वक्त है। जागिए और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की गारन्टी के लिए आवाज बुलंद कीजिए।
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