लोकतंत्र आइसीयू में है, लोकतंत्र की सभी संस्थाएं और समाज बीमार हैं: प्रो. रूपरेखा वर्मा

नागरिक समाज, वाराणसी द्वारा भगत सिंह की 117वीं जयंती पर “लोकतंत्र की चुनौतियां एवं नए भारत का निर्माण” विषय पर पराड़कर भवन, मैदागिन, वाराणसी में सेमिनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो।. रूपरेखा वर्मा और विशिष्ट वक्ता पीयूसीएल की उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सीमा आज़ाद रहीं।

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फासिस्ट हिंसा का सौम्य मुखौटा है सामाजिक डार्विनवाद

क्या हमारा वैज्ञानिक समुदाय इतना सक्षम है कि भविष्य में वह धुर दक्षिणपंथियों, फासीवादियों और बाजारवादियों द्वारा फैलायी जाने वाली हिंसा और डार्विनवाद के आधार पर उस हिंसा के वैचारिक बचाव पर रोक लगा पाएगा?

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छान घोंट के: भारतीय राष्ट्रवाद के खिलाफ हिंदू और मुस्लिम सांप्रदायिकता का साझा इतिहास

मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा दो-राष्ट्र सिद्धांत अपनाने के बहुत पहले से सावरकर इस सिद्धांत का प्रचार कर रहे थे और दोनों ही भारतीय राष्ट्रवाद के खिलाफ थे। एक खास गौरतलब तथ्य है कि मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन (मार्च 1940) में पाकिस्तान प्रस्ताव पारित करते समय जिन्ना ने अपने दो-राष्ट्र सिद्धांत के पक्ष में सावरकर के उपरोक्त कथन का हवाला दिया था।

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नौजवानों को लोहिया और भगत सिंह दोनों के विचारों से सीखने की जरूरत है : RMLSS

फासिस्ट ताकतों का मुकाबला करने के लिए आज भगत सिंह और डॉक्टर लोहिया के मार्ग पर चलना और उनके विचारों को फैलाने की जरूरत है।

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किसानों से शुरू होकर यह आन्दोलन सिर्फ़ किसानों का नहीं रह गया है!

यह आवश्यक है कि आन्दोलन लम्बे समय तक डटा रहे और चुनावों पर भी वांछित प्रभाव डाले. अपने तात्कालिक हितों और उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए भी आन्दोलन को राजनैतिक तौर पर कुशल और सचेत होना पड़ेगा. इसके लिए यह भी आवश्यक है कि फ़ासीवाद और सम्प्रदायवाद की विरोधी जनपक्षधर शक्तियाँ भी किसान आंदोलन से सीख लें और राजनैतिक सूझ-बूझ का परिचय दें.

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बंकर में ट्रम्प और दुनिया भर में धुर दक्षिणपंथी नज़रिये की खुलती कलई

यह घटना एक संकेत अवश्य है कि वहां पर ट्रम्प उस तरह से अजेय नही हैं जैसा कि अपने हाव भाव से वे जाहिर करते हैं

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