दुनिया के अनेक विकासशील देशों को दीमक की तरह चाट गया है पूंजीवाद: प्रो. मालाकार

अमेरिका यह हर्गिज नहीं चाहता है कि भारत और चीन की दोस्ती बढ़े। भारत सरकार भी चीन से दोस्ती की ज़रूरत को न समझते हुए अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ उनके खेमे में शामिल होना चाहती है। यह भारत के लिए बिलकुल फायदेमंद नहीं होगा।

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बिजली की मांग और कोयला बिजली उत्पादन में भी पिछले साल चीन रहा अव्वल

इस वार्षिक रिपोर्ट में 2020 में दुनिया भर में हो रहे स्वच्छ बिजली परिवर्तन के मद्देनजर दुनिया के हर देश के बिजली के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है ताकि पहला सही और विशुद्ध विवरण किया जा सके। यह 2000 से देश का ईंधन डेटा साल दर साल एकत्र करता आया है। दुनिया की 90% बिजली उत्पादन करने वाले 68 देशों का साल 2020 का पूरा डाटा और उसी के हिसाब से दुनिया भर में बदलाव के लिए एक अनुमान को आधार बनाया गया है।

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बात बोलेगी: झूठ की कोई इंतिहा नहीं…

भारत के संसदीय इतिहास में यह पहला संसदीय सत्र है जहां प्रश्नकाल नहीं है। यानी मौखिक रूप से कोई प्रश्न और बहस नहीं होगी। आप चाहें तो लिखित में दिये गये जवाबों से सच और झूठ का विच्छेदन करते रहिए, पर उससे कुछ हासिल नहीं होगा।

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देशान्‍तर: जी जिंपिंग का उदय और एक लोकतांत्रिक संवैधानिक सपने का अंत

चीन में मानवाधिकार की बात करना या फिर एकदलीय शासन के अंत और लोकतंत्र की स्थापना की बात करना जुर्म है, राजद्रोह है और इसलिए आज भी हज़ारों बुद्धिजीवी, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील आदि वहां की जेलों में क़ैद हैं, यातना झेल रहे हैं या फिर अन्य देशों में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

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देशान्तर: तानाशाही व्यवस्था में प्रतिरोध का स्वर है चीन की सिविल सोसाइटी

2008 के ओलिंपिक ने चीन को दुनिया के पटल पर आर्थिक और राजनैतिक दोनों क्षेत्रों में न सिर्फ सुपर पावर के तौर पर स्थापित किया बल्कि यह आत्मबल भी दिया किया कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय व्यापारिक और बाज़ारी व्यस्था के आगे मानवाधिकारों के हनन को मुद्दा नहीं बनाने वाला। इसलिए धीरे-धीरे उन्होंने एडवोकेसी संस्थाओं पर अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया जिसके कारण कुछ ही वर्षों में कई संस्थाएं बंद हो गयीं या फिर देश छोड़ कर चली गयीं।

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“न कोई घुसा है, न किसी का कब्ज़ा है” कहने के पीछे प्रधानमंत्री का आशय क्या है

शुक्रवार को चीन के साथ जारी सीमा विवाद पर हुई ऑनलाइन सर्वदलीय बैठक से धीरे-धीरे छन कर जानकारियां बाहर आ रही हैं. विपक्षी दलों की तमाम दुश्चिंताओं के बीच मीडिया ने जिस ख़बर को सबसे ज्यादा तवज्जो दी वह है प्रधानमंत्री का बयान.

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कोरोना संकट के बाद बदल जाएंगे अमेरिका-चीन समीकरण

कोरोना वायरस के विश्वव्यापी संक्रमण, ढहती अर्थव्यवस्थाओं और बढ़ती अनिश्चितताओं के बीच जो कुछ भी दुर्भाग्यपूर्ण एवं भयावह हो सकता है, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उसके सूत्रधार बनकर उभरे हैं.

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