
‘कुछ लोग तो अब दिन में केवल एक बार ही खा रहे हैं’!
कोविड-19 लॉकडाउन ने बेंगलुरु के कई दिहाड़ी मज़दूरों की आय छीन ली है या उन्हें बेकार कर दिया है
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कोविड-19 लॉकडाउन ने बेंगलुरु के कई दिहाड़ी मज़दूरों की आय छीन ली है या उन्हें बेकार कर दिया है
Read Moreपालघर जिले के कवटेपाड़ा में रहने वाले अधिकांश आदिवासी परिवार निर्माण स्थलों पर दैनिक मज़दूरी करके जीवनयापन करते हैं। कोविड-19 लॉकडाउन के कारण यह काम बंद हो गया है, और अब उनके पैसे और राशन तेज़ी से ख़त्म होने लगे हैं
Read Moreयौन संतोष और आर्थिक फायदा – विवाह के ये दो अहम स्तंभ हैं. सैकड़ों सालों से ऐसा ही चला आ रहा है लेकिन अब स्थितियां अदृश्य रूप से बदल रही हैं. दरअसल, उत्पादन संबध बदल रहे हैं इसीलिए. तेजी से पसरते हुए मध्यवर्ग का एक तबका फ्री सेक्स के विचार को सैद्धांतिक तौर पर भले ही न माने लेकिन इसकी व्यावहारिकता से शायद ही परहेज करेगा.
Read Moreआनंद स्वरूप वर्मा आखिरकार नेपाल के बहुप्रतीक्षित संविधान को अंतिम रूप देने का काम 13सितंबर से शुरू हो गया। 2008 में निर्वाचित पहली संविधान सभा को ही यह कार्य …
Read Moreभारतीय इतिहासलेखन के विकास, असहमति की परंपरा तथा बौद्धिक अभिव्यक्तियों को बाधित करने के मौजूदा प्रयासों पर रोमिला थापर की कुलदीप कुमार से बातचीत (अनुवाद: अभिषेक श्रीवास्तव) आपकी …
Read Moreआनंद तेलतुम्बड़े हमारे समय के सबसे महत्वपूर्ण चिंतकों में एक हैं। पिछले दिनों उनके कहे-लिखे पर काफी विवाद खड़ा किया गया है। प्रस्तुत लेख उन्होंने ”समयांतर” के लिए लिखा था …
Read Moreसुरेंद्र प्रताप सिंह यानी एस.पी. पर जितेन्द्र कुमार के लिखे आलेख पर बहस अब तक फेसबुक समेत तमाम मंचों पर जारी है। यह लेख अब भी जितेन्द्र कुमार के ब्लॉग …
Read Moreभारत में टीवी पत्रकारिता के गॉडफादर माने जाने वाले सुरेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ़ एसपी की आज पुण्यतिथि है. 1997 में उनकी मौत के बाद बीते दो दशक से ज्यादा वक़्त …
Read Moreजनसत्ता के 12 नवंबर 2012 अंक में छपे खाप का समर्थन करते शंकर शरण के लेख पर पिछले पोस्ट में हमने वरिष्ठ लेखक उदय प्रकाश की प्रतिक्रिया देखी जिसमें उन्होंने …
Read Moreपी. साइनाथ ने यह व्याख्यान दिल्ली के कांस्टिट़यूशन क्लब में पिछले साल दिया था। उसके संपादित अंश प्रस्तुत हैं। A Structural Compulsion To Lie जिस तरह किसी जंग को जनरलों के …
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