बात बोलेगी: अच्छाई और ताकत के बीच नितांत अकेला और शांत खड़ा हसदेव अरण्य

हसदेव, जो एक अरण्य है और ऐसा अरण्य है जिसके ऊपर मध्य भारत की हवा, बारिश और तापमान में संतुलन बनाने की महती ज़िम्मेदारी है, इसका मानवीकरण करते हुए अक्सर इसे मध्य भारत के फेफड़े तक कहा जाता है। आज उन्हीं ताकतवरों को यह कहने की कोशिश कर रहा है कि अपनी ताक़त का इस्तेमाल हमें उजाड़ने के लिए मत करो।

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बात बोलेगी: शामतों के दौर में…

ऐसे में नित नूतन अभियानों को अनवरत चलाना बड़ा पेचीदा और श्रमसाध्य काम होता जा रहा है। इस तरह की कठिन और व्यस्त परिस्थितियों में अक्सर मोर्चे पर जगहँसाई जैसी स्थिति भी बन जा रही है। आज ही मामला देखो तो, इस फौज को सिवा जगहँसाई के कुछ हासिल होता नहीं दिख रहा है।

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तिर्यक आसन: सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने का मुकदमा दर्ज करने के नायाब नुस्खे

रिश्वत देकर मुआवजा लेने वालों के खिलाफ रिश्वत देने का अभियोग बनता है। बनता है, पर शिकायतकर्ता के साथ वही होगा- सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में आपको गिरफ्तार किया जाता है- सरकार देश के सभी गाँवों का विकास तुम्हारे गाँव की तरह करना चाहती है। तुमसे विकास बर्दाश्त नहीं हो रहा है?

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तिर्यक आसन: वर्ण-व्यवस्था में 80:20 के परजीवी कीड़े का अपराधबोध

हाल ही में केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को हेट स्पीच मामले में अपनी दलीलों के माध्यम से क्लीन चिट देते हुए न्यायाधीश ने कहा, ‘मुस्कुराकर कही गई कोई बात अपराध नहीं।’ ये लिखते हुए मैं मुस्कुरा रहा हूँ या नहीं, ये आप नहीं देख पा रहे हैं। जब दृश्य-श्रव्य रूपांतरण करूँगा, तब मुस्कुराते हुए पढूँगा। आप भी मुस्कुरा रहे हैं क्या, विभांशु नामक कीड़े को पढ़कर?

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पंचतत्व: पाँच साल के भीतर बहुत महंगी पड़ने वाली है ये गर्मी!

यूनिवर्सिटी ऑफ मेइन्स क्लाइमेट रीएनालाइजर के मुताबिक शुक्रवार को अंटार्कटिका महादेश का औसत तापमान 4.8 डिग्री सेंटीग्रेड था जो 1979 और 2000 के बीच के बेसलाइन तापमान से कहीं अधिक था। पूरा आर्कटिक वृत्त भी 1979 से 2000 के बीच के औसत से 3.3 डिग्री सेंटीग्रेड अधिक गर्म रहा।

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बात बोलेगी: तीन करोड़ की शपथ और अगले बुलडोजर का इंतज़ार

कल पंजाब की पूरी आबादी ने शपथ ली है, यह बात पूरे देश को एक साथ बतलायी गयी। ऐसा कौन सा लीडिंग अखबार नहीं है जिसके प्रथम पृष्ठ पर पूरे पेज का विज्ञापन न छपा हो और वो भी बेनामी। यह गोपनीयता की पारदर्शिता है जो लोकतंत्र के नये प्रतिमान रच रही है।

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तिर्यक आसन: गाँधी टोपी के साथ मेरे भौतिक द्वन्द्ववादी प्रयोग

गुस्से की भी पॉलिटिक्स होती है। अपने से कमजोर पर ही निकलता है। बॉस पर कभी नहीं निकलता। इस पॉलिटिक्स के अनुसार सत्य जी अपना गुस्सा मुझ पर नहीं निकाल सके। वे जानते हैं, इसकी क्रिया के विरुद्ध प्रतिक्रिया की, तो ये आलोचना की समालोचना कर देगा। वो भी एक्स्ट्रा 2एबी के साथ।

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बात बोलेगी: सूचनाओं के प्रवाह में जवाब देने की मजबूरी

अजीब सी मुश्किल है। न बोलें तो चैन कहाँ और बोले तो बेचैन। चुप्प रहें तो कायरता, जो बोल दिये तो सौ इल्ज़ाम। खामोश रहे तो सौ तोहमतें, कह डाला तो जान और सम्मान को खतरा। न कहा तो अपने होने पर ही शक-शुबहा। अजीब हालात होते जा रहे हैं।

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बात बोलेगी: चुनाव लोकतंत्र में आपातकाल है या आपातकाल में लोकतंत्र?

आचार संहिता असल में एक चलती हुई दुनिया को थाम देने का बटन है जिसे दबाकर चुनाव के लिए भीड़भाड़ भरे रास्ते को खाली करा दिया जाता हो जैसे। केवल अब उस रास्ते से चुनाव ही निकलेगा और कुछ नहीं।

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पंचतत्व: फ्लावर नहीं, फायर है मैं!

गोभी विदेशी है और हमारी सब्जियों की सूची में महज डेढ़ सौ साल पुराना है। इसको खेतों में उगाने की शुरुआत भूमध्यसागरीय इलाके में हुई थी। यह बात भी बहुत ज्यादा नहीं कोई डेढ़ हजार साल पुरानी है जब साइप्रस टापू पर गोभी को खेतों (और बाड़ियों) में उगाने की शुरुआत हुई थी। साइप्रस से यह सीरिया, तुर्की, मिस्र, इटली, स्पेन और पश्चिमोत्तर यूरोप में फैल गया।

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