आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न और सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण भारत का इंदिरा का सपना अब भी बाकी है…

साम्प्रदायिकता, क्षेत्रवाद, भाषावाद, जातिवाद, अलगाववाद तथा सामाजिक व्यवस्था के विचारहीन पहलू भारतीय एकता को तोड़ रहे थे। जहां उन्हें आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न भारत का निर्माण करना था, वहीं दूसरी ओर एक अभिशप्त सामाजिक व्यवस्था के स्थान पर न्यायपूर्ण व्यवस्था का सृजन करना था। श्रीमती गांधी ने जीवनपर्यन्त और प्राण देकर भी इसका निर्वहन किया।

Read More

नाउम्मीदी के दौर में उम्मीद का दामन थामे रखने का संदेश देने वाले थे सौमित्र दा

रविन्द्र सदन से शुरू हुई उनकी अंतिम यात्रा में चाहने वालों की तीन किलोमीटर लंबी कतार और चिरनिद्रा में लीन सौमित्र दा को अजिक्ता बनर्जी की कविता “तुम एक जीवित नॉस्टल्जिया हो / तुम हारना नहीं जानते फेलूदा” भी उठा नहीं पायी।

Read More

बाल दिवस पर बच्चों के ‘चाचा’ की एक याद

नेहरू जी ने अपने पत्र में बेटी इंदु को एक पत्थर के छोटे टुकड़े की कहानी लिखी थी. कैसे एक बड़ा चट्टान अपनी यात्रा में घिसते हुए नदी में बहते हुए छोटा रूप पाया था. दरअसल, छोटा होने पर ही कोई चट्टान हथेली पर आ सकता है.

Read More

आज़ादी और साझी विरासत के मसीहा: मौलाना अबुल क़लाम आज़ाद

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) ने मौलाना आजाद के शिक्षा के क्षेत्र में किए गए योगदान के लिए उनके जन्मदिन पर साल 2015 में “राष्ट्रीय शिक्षा दिवस” (नेशनल एजुकेशन डे) मनाने का फैसला किया था।

Read More

स्मृतिशेष: कवि का कमरा, कवि की दुनिया

तमाम शोरगुल, आत्म-प्रशंसा और प्रचार से दूर रह कर विष्णुजी आजीवन चुपचाप अपने लेखन और सृजन कर्म में लगे रहे। जैसे मुक्तिबोध के जीवनकाल में उनका मूल्यांकन नहीं किया मठाधीशों ने और उनके जाने के बाद उन्हें खूब खोज कर पढ़ा गया, उसी तरह।

Read More

चुनावीबिहार-9: अफ़वाह पर टिकी उम्मीद और ज़मीन पर गायब चुनाव

पहली अफवाह यह है कि भाजपा और नीतीश कुमार में कट्टिस हो चुकी है और दोनों एक-दूसरे के साथ भितरघात कर रहे हैं। दूसरी अफवाह ये है कि तेजस्वी 10 लाख नौकरियां दे रहे हैं, बेरोजगारी मुद्दा है और इसी बात पर तेजस्वी बंपर बहुमत से जीत कर आ रहे हैं।

Read More

चुनावीबिहार-8: मोदी की तीन सभाएं और तेजस्वी की दो गलतियां ‘गेमचेंजर’ हो सकती हैं!

तेजस्वी के साथ अनुभवहीनता और बिना जिम्मेदारी के बड़ी कुर्सी मिलने से जुड़े तमाम दोष समा गए हैं। लालू की तरह उनके पास रघुवंश प्रसाद, अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे दोस्त भी नहीं हैं, ऊपर से पार्टी पर उन्होंने नियंत्रण कायम तो कर लिया है, लेकिन यह कब तक रहेगा यह कहना बहुत मुश्किल है।

Read More

जिन्स-ए-उल्फ़त के एक इन्कलाबी तलबगार की आवाज़

उल्फत का ये शायर जिंदगी भर उल्फत के इंतजार में सूनी राह तकते-तकते इस फानी दुनिया से कूच कर गया पर अपने पीछे अदब का वो खज़ाना छोड़ गया जो उसे सदियों तक मरने नहीं देगा।

Read More

बिहार में NDA के खिलाफ लोगों के विरोध और खाली मैदान दिखाने से मीडिया शरमाता है

इस बार बिहार के मतदाताओं में मौजूदा सरकार यानी बीजेपी-जदयू वाले गठबंधन के खिलाफ़ भारी आक्रोश है. हालत यह है कि खाली सभाओं को छिपाने के लिए पुरानी तस्वीरें लगाकर सोशल मीडिया पर झूठा प्रचार तक किया गया.

Read More

चुनावीबिहार-7: एक ओर कुआँ दूसरी तरफ खाई, बस इतनी सी है बिहार की लड़ाई

सुशील मोदी को सचमुच का कोरोना हुआ है या उनकी सभाओं में उमड़ी ‘अपार भीड़’ का कमाल है कि उन्हें क्वारंटाइन कर दिया गया है, इस पर भाजपा मुख्यालय में जबर्दस्त चुप्पी है।

Read More