मिटेंगे अब अपराधों के साये: किसान आंदोलन के अवसान पर दो कविताएं
सांत्वना बहुत लोग गेहूं की रोटी खाते हैं चावल खाते हैं कुछ ज्वार बाजरा मक्का भी खाते हैं दलहन तिलहन सब्जी और फल खाते हैं उनके विभिन्न उत्पाद और व्यंजन …
Read MoreJunputh
सांत्वना बहुत लोग गेहूं की रोटी खाते हैं चावल खाते हैं कुछ ज्वार बाजरा मक्का भी खाते हैं दलहन तिलहन सब्जी और फल खाते हैं उनके विभिन्न उत्पाद और व्यंजन …
Read Moreकुपोषण पर ताजा सरकारी आंकड़े दिखा रहे हैं कि भारत में कुपोषण का संकट और गहरा गया है। इन आंकड़ों के मुताबिक भारत में इस समय 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित हैं। इनमें से आधे से ज्यादा यानी कि 17.7 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात में हैं।
Read Moreसालिम अली ने कई पत्रिकाओं के लिए लिखा, मुख्य रूप से जर्नल ऑफ द बॉम्बे नेचुरल हिस्टरी सोसायटी के लिए लगातार लिखा। साथ ही उन्होंने कई लोकप्रिय और शैक्षिक पुस्तकें भी लिखी, जिनमें से कुछ अभी भी प्रकाशित नहीं हुई हैं। इसके लिए अली ने तहमीना को श्रेय दिया है जिसने इनकी अंग्रेजी में सुधार करने के लिए इंग्लैंड में अध्ययन किया था।
Read More? क्या हमारे शासक इतने कमजोर हैं कि कोई व्यक्ति कानून और संविधान को चुनौती देता हुआ कभी विधानसभा, कभी मीडिया के दफ्तरों और कभी सड़कों पर आतंक बरपाता फिरे और हम अपनी वाचिक कुशलता से ही काम चला लें। क्या ये मामले सिर्फ निंदा या कड़ी भत्सर्ना से ही बंद हो सकते हैं।
Read Moreलेनिन की समाजवाद की अवधारणा दीर्घावधि की सोच पर आधारित रही जो वर्तमान की सच्चाइयों के साथ व्यावहारिक तालमेल पर आधारित थी। इसमें किसानों के प्रति संवेदना और तानाशाही शासन तंत्र की खामियों को दूर करना शामिल था।
Read Moreप्रो. अब्दुल अलीम, जिनका संबंध प्रगतिशील लेखक संघ के पुरोधाओं से है, उन्होंने लेखकों की एक बड़ी मीटिंग में कहा था कि लेखक संगठन बनाना उतना ही कठिन है जितना कि हिरन पर घास लादना, लेकिन हिरन पर घास लादने का कार्य प्रगतिशील लेखक संघ के उत्तराधिकारियों का काम है। इसे कोई दूसरा नहीं कर सकता है।
Read More। दुर्भाग्य यह कि हमारे देश के नक्काद (आलोचक) उन्हें कभी इंकलाब के सांचे में फिट करते तो कभी उर्दू का कीट्स करार दे अपनी ऊर्जा जाया करते रहे। मजाज़ को मजाज़ की नजर से देखने की कोशिश नहीं की गई।
Read Moreग्रामीणों ने अपनी यात्रा मदनपुर ग्राम से शुरू की और 10 दिनों में 300 किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए वे राजधानी रायपुर पहुंच रहे हैं, जहां वे अपनी मांगों को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को सौंपेंगे।
Read Moreभारत के कोयला संकट को गहराने में जहां अंतरराष्ट्रीय समीकरणों की भूमिका रही वहीं देश के भीतर मौजूद कारण भी इसकी वजह रहे जिसने खदानों से लेकर बिजली संयंत्रों तक सप्लाई की लय को गड़बड़ा दिया। कई राज्यों में कोयले की उपलब्धता में कमी आयी है।
Read Moreवर्ष 1993 में वोहरा समिति की रिपोर्ट और वर्ष 2002 में संविधान के कामकाज की समीक्षा करने के लिये राष्ट्रीय आयोग (NCRWC) की रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि भारतीय राजनीति में गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों की संख्या बढ़ रही है।
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