एक सप्ताह पहले असम के एक दोस्त ने फोन कर बात करते हुए एक वाक्य कहा था– “यहां से बहुत दूर है भारत!” उनके इस जवाब के पीछे का दर्द आज असम के बाढ़ग्रस्त इलाकों में साफ़ देखने को मिल रहा है, लेकिन मीडिया राम मंदिर के शिलान्यास की खबरों से पटा पड़ा है। किसी भी चैनल की डिबेट पर असम की बाढ़ पर कोई बात नहीं है।
क्यों हर साल वहां के लोगों को डूब कर मरना पड़ता है? क्यों बाढ़ नियंत्रण के लिए सरकारें कोई योजना बना कर हल नहीं खोजतीं? हर साल पता होता है कि तबाही आ रही है लेकिन हर साल सरकारें और प्रशासन शुतुरमुर्ग की तरह ज़मीन में सिर गड़ा लेते हैं?
असम की तरह बिहार का भी हाल बहुत बुरा है। बिहार में नदियां उफान पर हैं। यहां भी बीते वर्षों में बाढ़ से सरकार व प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है। इस बार भी लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। इस साल नेपाल से भी हमारा संबंध बिगड़ गया है और वहां से आने वाले पानी को रोकने के लिए नेपाल सरकार ने बांध मरम्मत का काम रोक दिया था। ऐसे में नेपाल में हो रही भारी बारिश बिहार के लिए काल बन गई है।
फिलहाल असम के 33 में से 30 जिले जलमग्न हैं। जिधर देखो पानी ही पानी. पानी में इंसान और जानवरों की लाशें, डूबे घरों की खपरैल। मंगलवार तक वहां बाढ़ से मरने वालों की संख्या 123 हो गयी थी। मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के मुताबिक अब तक 70 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। बरपेटा जिले में बाढ़ ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है। काजीरंगा नेशनल पार्क में 100 से अधिक जानवर बाढ़ से मर गये हैं।
असम से लेखिका एकता सिन्हा ने फोन पर बताया कि वहां ज्यादातर कच्चे घर हैं। ऊपर चाल टिन का होता है और दीवारें बांस पर मिट्टी से पुती हुई होती हैं। चाय बागान में भी कहीं-कहीं पानी भर जाता है। सांप और विषैले कीड़े काटने से भी मौत हो जाती है। पानी घर के भीतर भी घुस जाता है।
“बहुत मुश्किल होती है रहने खाने, पानी पीने में, सब कुछ… बस लगता है कि कब ये पानी निकले”!
असम में रहने वाले एक मजदूर कवि चन्द्र मोहन ने फोन पर बताया कि हालत बहुत ख़राब है। सरकार की तरफ से पर्याप्त सहायता नहीं मिल रही है। उन्होंने बताया कि करीब तीन हजार गाँव पानी में डूब गये हैं। काजीरंगा से बचे हुए जानवर गांवों में घुस रहे हैं। हाथियों और गैंडों का झुंड पश्चिम हिस्सों के गांवों में घुस आया है।
चन्द्र मोहन कहते हैं- “एक तरफ कोरोना, दूसरी ओर बाढ़! ऐसे में हम कहां जाएं पता नहीं!”
उत्तर बिहार में बारिश ने 20 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। मौसम विभाग ने अगले दो दिनों तक भी भारी वज्रपात का अलर्ट जारी किया है। उधर नेपाल के जल-ग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश के कारण नदियां उफान पर हैं। खासकर गंडक नदी के जलग्रहण क्षेत्र में हो रही भारी बारिश से नदी के डिस्चार्ज में भारी बढ़ोतरी की आशंका है। इस कारण पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, वैशाली एवं सारण जिलों में बाढ़ की आशंका है।
इसे देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपदा प्रबंधन विभाग एवं सभी जिलाधिकारियों को अलर्ट रहने का आदेश दिया है। उन्होंने गंडक नदी के डिस्चार्ज वाले क्षेत्रों के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को ऊंचे एवं सुरिक्षत स्थानों पर पहुंचाने का आदेश जारी कर दिया है।
बिहार की स्थिति को कवि सुधांशु फ़िरदौस के इस स्टेटस से समझा जा सकता है:
फिलहाल की ताज़ा स्थिति ये है कि असम में बारिश और भूस्खलन से 123 लोगों की मौत हो चुकी है, 24 लाख लोग विस्थापित हैं, 33 में से 30 जिले बाढ़ प्रभावित हैं और 116 पशु मर चुके हैं।
असम से लेखयक उदीप्त गोस्वामी ने एक विडिओ शेयर करते हुए पानी में डूबी धरती का भयावह दृश्य दिखाया है:
नित्यानंद गायेन पत्रकार और कवि हैं
यहां से दिल्ली बहुत दूर है। कितनी बड़ी व्यथा है और हम राममंदिर-बकरीद में उलझे हैं। बाढ़ से जन, जंगल, जमीन की दुर्दशा का दर्दनाक मंज़रनामा।