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View AllAMU का शिक्षक संघ और वक़्फ़ की दुश्वारियां
एलीट लोगों का एक हिस्सा पहले ही सत्तारूढ़ भाजपा के साथ मिल चुका है किंतु यही समूह ठीक इसी समय आम अवाम को भाजपा से लड़ते रहने और इस नफरतपूर्ण प्रतिशोधात्मक सरकार द्वारा प्रतिहिंसा झेलने के लिए उकसाता है। ज़ाहिर है इस तरह का रवैया इन मौका परस्त अभिजातों को सत्तारूढ़ पार्टी के समक्ष सौदेबाजी के लिए थोड़ी और सहूलियत प्रदान करता है। ऐसी दयनीय स्थिति तुरंत कार्रवाई की मांग करती है।
Voices
View Allओडिशा: बिजली निजीकरण और प्रीपेड स्मार्ट मीटर के खिलाफ किसानों के संघर्ष को SKM का समर्थन
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने ओडिशा के मुख्यमंत्री से बदले की कार्यवाही से दूर रहने का किया आग्रह और पीएम मोदी से वादा निभाने और चर्चा शुरू करने की मांग …
Editor’s Choice
View Allबहसतलब: साध्य-साधन की शुचिता और संघ का बेमेल दर्शन
पिछले एक दशक में संघ ने भाजपा का बेताल बनकर न सिर्फ राजकीय-प्रशासनिक तंत्र पर अपना शिकंजा कसा है बल्कि उसे अपने आनुवंशिक गुणों से विषाक्त भी किया है। आजकल घर-घर द्वारे-द्वारे, हर चौबारे, चौकी-थाना और सचिवालय तक वैमनस्य, हिंसा, भ्रष्टाचार और गैर-जवाबदेही का जो नंगा-नाच चल रहा है, वह इसी दार्शनिक दिशा का दुष्परिणाम प्रतीत होता है।
Lounge
View Allबसु-रमण की धरती पर अंधश्रद्धा और वैज्ञानिक मिज़ाज पर कुछ बातें
पश्चिम के अकादमिक गढ़ों में बैठे उपनिवेशवाद के ये आलोचक और उत्तर-औपनिवेशिकता के ये सिद्धान्तकार निश्चित ही पश्चिमी समाजों को अधिक सभ्य, अधिक जनतांत्रिक और अधिक बहुसांस्कृतिक बनाने में योगदान कर रहे हैं, लेकिन पश्चिम के पास तो पहले से ही विज्ञान और आधुनिकता है, वह पहले ही आगे बढ़ चुका है। इस सब में हम पूरब वालों के लिए क्या है? गरीबी और अंधश्रद्धा के दलदल से हमें अपना रास्ता किस तरह निकालना है? अपने लिए हमें किस तरह के भविष्य की कल्पना करनी है?
COLUMN
View Allमणिपुर डायरी: हेड हंटर की वापसी और पूर्वोत्तर में औरतों की आजादी का मिथ
दूसरी जनजाति से प्रेमसंबंध और विवाह को हतोत्साहित किया जाता है, लेकिन अगर किसी ने प्रेम किया है और उसे जाहिर करता है तो उसे कतई रोका नहीं जाता है। अत: जनजातीय विवाह खूब होते हैं और कोई जनजाति इन्हें प्रतिबंधित नहीं करती। मैतेइ और कुकियों के बीच भी ऐसे विवाह काफी हुए हैं, लेकिन इतिहास बताता है कि इन आजादियों का उस समय कोई मूल्य नहीं रह जाता, जब इनके बीच आपसी संघर्ष होता है।
Review
View Allपोन्नीलन के उपन्यास ‘करिसल’ के अंग्रेजी अनुवाद का लोकार्पण उर्फ साहित्य का ‘भारत जोड़ो’ समारोह
उपन्यास में आंदोलन का वर्णन ऐसे है जैसे जमीन से अनाज पैदा होता है, वैसे ही शोषण से जनआंदोलन पैदा हो रहा है, आंदोलन के नेता पैदा हो रहे हैं, लेखक पैदा हो रहा। उपन्यासकार मामूली इंसानी जिंदगियों को, उनके अभावग्रस्त जीवन को, इस जीवन के खिलाफ संघर्ष को करुणा के माध्यम से उसके उदात्त स्वरूप तक ले जाता है।
Blog
View Allशिक्षा का लोकतान्त्रिक मूल्य और डॉ. भीमराव अम्बेडकर
डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा दिया गया सूत्र ‘शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो’ इस सूत्र में ही उनके संघर्षपूर्ण जीवन का व उनके शैक्षिक विचारों का सारांश छिपा हुआ है।