हाथरस गैंगरेप के मुद्दे पर पूरे उत्तर प्रदेश में विरोध स्वरूप सड़क पर उतरे कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को आज पुलिस ने मारा पीटा और गिरफ्तार किया है। कांग्रेस पार्टी मंगलवार से लगातार इस मुद्दे पर प्रदर्शन कर रही है।
आज सुबह यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और अन्य नेता मुख्यमंत्री आवास की ओर पैदल मार्च करने जा रहे थे जब उन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया।
विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रतापगढ़ में कांग्रेस नेता गिरफ्तार हुए हैं तो हाथरस जाते हुए बदायूं हाइवे पर कांग्रेस महासचिव ब्रह्मस्वरूप सागर, असलम चौधरी समेत कई नेता गिरफ्तार हुए हैं।
जालौन, सोनभद्र, चित्रकूट समेत कई जिलों में प्रदर्शन के दौरान जगह-जगह कांग्रेसियों का पुलिसिया उत्पीड़न हुआ है। लखनऊ समेत कई जिलों में कांग्रेसी कार्यकर्ता घायल होने की सूचना है।
सुबह प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर के लिखा था:
“रात को 2.30 बजे परिजन गिड़गिड़ाते रहे लेकिन हाथरस की पीड़िता के शरीर को उप्र प्रशासन ने जबरन जला दिया। जब वह जीवित थी तब सरकार ने उसे सुरक्षा नहीं दी। जब उस पर हमला हुआ सरकार ने समय पर इलाज नहीं दिया। पीड़िता की मृत्यु के बाद सरकार ने परिजनों से बेटी के अंतिम संस्कार का अधिकार छीना और मृतका को सम्मान तक नहीं दिया। घोर अमानवीयता। आपने अपराध रोका नहीं बल्कि अपराधियों की तरह व्यवहार किया। अत्याचार रोका नहीं, एक मासूम बच्ची और उसके परिवार पर दुगना अत्याचार किया। योगी आदित्यनाथ इस्तीफा दो। आपके शासन में न्याय नहीं, सिर्फ अन्याय का बोलबाला है।‘’
कांग्रेस के अलावा इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी सड़क पर है। आज सुबह लखनऊ सीएम आवास के बाहर सपा ने प्रदर्शन किया और सपा कार्यकर्ताओं ने पुतला फूंका जिसके बाद पुलिस ने कार्यकर्ताओ पर जबरदस्त लाठीचार्ज किया।
वाम दलों ने एक बयान जारी कर के 02 अक्टूबर 2020 को गांधी जयंती पर संयुक्त प्रतिवाद करने का आह्वान किया है।
आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी ने संवैधानिक प्रमुख व महिला होने के नाते राज्यपाल को पत्र भेजकर प्रदेश में लगातार बढ़ रही महिला हिंसा की घटनाओं में तत्काल हस्तक्षेप कर प्रदेश सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया है।
उन्होंने पत्र में हाथरस की अमानवीय व बर्बर घटना में लापरवाही बरतने और समय से एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही न करने और उसे समुचित इलाज न दिलाने वाले दोषी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को दण्ड़ित करने, महिलाओं पर हो रही हिंसा की घटनाओं के लिए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को जबाबदेह बनाने और महिलाओं के साथ हिंसा, बलात्कार, हत्या की घटनाओं में तत्काल राहत पहुंचाने वाली 181 वूमेन हेल्पलाइन और महिला समाख्या जैसी महिलाओं के लिए हितकारी योजनाओं को पूरी क्षमता से चलाने की मांग की। पत्र की प्रति आवश्यक कार्यवाही के लिए अपर मुख्य सचिव गृह और महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस को भी भेजी गयी है।