BHU में लगे ‘कम्युनिस्टों का प्रवेश वर्जित है’ वाले पोस्टर, ‘विश्व हिन्दू सेना’ की हरकतों से तनाव में बनारस


वाराणसी महानगर न केवल शिक्षा और संस्कृति के लिये विश्व प्रसिद्ध है अपितु वर्तमान में वह भारत के प्रधानमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र भी है। इस कारण वाराणसी पर सारे देश और दुनिया की निगाहें टिकी रहती हैं। आजकल इस शहर में अवैध और अवांछनीय संगठन “विश्व हिन्दू सेना” और उसके स्वघोषित अध्यक्ष अरुण पाठक वाराणसी की राजनैतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक सहिष्णुता को पलीता लगाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं।

इस स्वयंभू गिरोह ने 25 जून 2020 को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के गोदौलिया, वाराणसी स्थित जिला कार्यालय पर विवादित और भावना भड़काने वाला पोस्टर लगा दिया। इससे सभी शांतिप्रिय और सभ्य नागरिकों को भावनात्मक चोट पहुंची। यह खबर उसने स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित कराई और सोशल मीडिया पर वायरल कराई। ज्ञात होने पर भाकपा और अन्य वामपंथी दलों के जिले के पदाधिकारियों ने 29 जून को जिला प्रशासन को लिखित शिकायत की।

इसके बावजूद दिनांक 29/30 जून की दरमियानी रात को भाकपा जिला कार्यालय को क्षति पहुंचाने की गरज से और कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं को भड़काने के उद्देश्य से भाकपा कार्यालय के साइनबोर्ड पर कालिख पोत दी गयी। उकसावे की तमाम कार्यवाहियों के बावजूद भाकपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने शान्ति बनाये रखी है और अपने कानूनी अधिकार का प्रयोग करते हुये वामपंथी दलों के स्थानीय नेताओं एवं समान विचारधारा वाले संगठनों ने आज फिर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, वाराणसी से मिल कर उनको इस घृणित कारगुजारी के विषय में अवगत कराया है और लिखित शिकायत भी दी।

यह भी ज्ञात हुआ कि इस गैंग ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के मुख्य द्वार के आसपास बैनर्स भी लगाये हैं जिनमें धमकी दी गयी थी कि ‘कम्युनिस्ट’ इस विश्वविद्यालय में प्रवेश न करें।

एक ऐसा व्यक्ति और उसकी जेबी संस्था किसी गहरी साजिश के तहत उस भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और कम्युनिस्ट विचारधारा को असफल चुनौती दे रही है जिसने देश की आज़ादी के आंदोलन में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और देश के शोषित, पीड़ित, दमित, दलित समुदायों के जीवन की बेहतरी के लिये निरंतर संघर्षरत है। देश में सांप्रदायिक सद्भाव की रक्षा, लोकतन्त्र और वैज्ञानिक सोच के विकास में इन दलों ने अभूतपूर्व योगदान किया है।

आज जब देश सीमाओं पर संकट और कोविड-19 की गंभीर चुनौतियों को झेल रहा है, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और कम्युनिस्ट विचारधारा के अनुयायी देश के समक्ष मौजूद इन चुनौतियों का मिल कर मुकाबला करने में व्यस्त हैं, एक अराजक और समाज विरोधी गिरोह निरंतर उन्हें हानि पहुंचाने की करतूतों को खुल कर अंजाम दे रहा है।

इतना ही नहीं, वह देश-विदेश में प्रतिष्ठित उस विश्वविद्यालय बीएचयू को अपनी करतूतों का केन्द्र बनाने में जुटा है जिसने देश को अनेक प्रगतिशील बुध्दिजीवी, वैज्ञानिक, साहित्यकार और राजनेता दिये हैं। इसी विश्वविद्यालय से शिक्षित कामरेड सी. राजेश्वर तेलंगाना सशस्त्र किसान आंदोलन का नेत्रित्व किये और भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में लगभग पांच दशकों तक देश और उसकी शोषित पीड़ित जनता की सेवा किये। नैपाल के पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला एवं लोकबंधु श्री राज नारायण जैसे तमाम अग्रणी राजनैतिज्ञों ने भी यहीं शिक्षा अर्जित की थी।

कुछ अराजक तत्व न तो बीएचयू की परंपराओं से अवगत हैं न भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के गौरवशाली इतिहास और कम्युनिस्ट विचारधारा की महानता को जानते हैं और सस्ती लोकप्रियता के लिये कानून, संविधान को चुनौती दे रहे हैं। साथ ही वाराणसी के शान्ति, सद्भाव और सहिष्णुता की परंपराओं को विनष्ट करने पर उतारू है।

शासन से यह भी मांग की गई कि जल्द से जल्द इनकी गतिविधियों पर लगाम लगाए अन्यथा हम सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होंगे। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने इन पर कार्यवाही का आश्वासन देते हुए वायदा किया कि दोषी व्यक्तियों को दंडित किया जाएगा। कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है।

प्रतिनिधिमंडल में कॉमरेड जयशंकर सिंह, कॉमरेड अजय मुखर्जी, डॉ. मोहम्मद आरिफ, कॉमरेड नंदलाल, कॉमरेड विजय कुमार, कॉमरेड संजय भट्टाचार्य सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।

जय शंकर सिंह
जिला मंत्री,
सीपीआई,वाराणसी
7376862990


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *