गुरुग्राम: मारुति कर्मचारियों का आंदोलन तेज, 30 जनवरी को लामबंदी और मार्च

मांगपत्र 9 जनवरी, 2025 को कंपनी प्रबंधन को भी सौंपा गया। श्रम विभाग ने 31 जनवरी, 2025 को कंपनी प्रबंधन और संघ के साथ त्रिपक्षीय बैठक निर्धारित की है। प्रदर्शन में हरियाणा के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा गया और 30 जनवरी को आईएमटी मानेसर में बड़े पैमाने पर लामबंदी और मज़दूर मार्च की घोषणा की। विभिन्न राज्यों के अस्थाई मज़दूरों और मारुति से निकाले गए मज़दूरों के प्रतिनिधियों की एक कार्यसमिति इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही है।

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कासगंज: NIA कोर्ट के फैसले में NGO/CSO पर टिप्पणी और PUCL की प्रतिक्रिया

पैराग्राफ 185-188 में की गई टिप्पणियां कानूनी सहायता दिलवाने, तथ्यान्वेषी दौरों और आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने के मानवाधिकार संगठनों के काम को अवैध ठहराने का प्रयास करतो हैं। उपरोक्त सभी महत्वपूर्ण संवैधानिक उपकरण हैं जिनका उपयोग स्वतंत्र संगठन सही तथ्यों की जांच करने, जवाबदेही तय करने और सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों के लिए सहायता सुनिश्चित करने के लिए करते आए हैं। संगठनों पर आक्षेप लगाकर माननीय न्यायालय राज्य के खिलाफ काम करने वाले “राष्ट्र-विरोधी” हितों के निराधार आख्यान का सहारा ले रहा है।

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मनीष आजाद की दोबारा गिरफ्तारी जांच एजेंसियों द्वारा कानून का दुरुपयोग: PUCL UP

पीयूसीएल ये मांग करता है कि ऐसे गलत ढंग से गिरफ्तार करने और कानून के दुरुपयोग पर माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्वतः संज्ञान ले और जांच एजेंसियों पर ज़रूरी अंकुश लगाए और साथ ही कुछ कड़े दिशानिर्देश जारी करे जिससे इस प्रकार से मानवाधिकारों का हनन ना हो।

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कुरुक्षेत्र : प्रथम शिक्षिका के जन्मदिवस पर सभा, प्रदर्शन और शिक्षा के निजीकरण पर चर्चा

सावित्रीबाई ज्योतिबा फुले ने जिन मनुवादी, रुढ़िवादी ताकतों के खिलाफ आजीवन संघर्ष किया आज वही ताकतें सत्ता में मौजूद हैं। आज देश में भाजपा की केंद्रीय व राज्य सरकारें शिक्षा का व्यापरीकरण, निजीकरण साम्प्रदायीकरण कर रही हैं। वैज्ञानिक शिक्षा की जगह पर रूढ़िवादी विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है।

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गुरुग्राम: मारुति सुजुकी अस्थायी मजदूर संघ की जनसभा, 10 तारीख को देंगे डीसी को ज्ञापन

इस बैठक में श्रमिकों द्वारा अपना मांगपत्र तैयार और हस्ताक्षरित किया गया। श्रमिकों ने 10 जनवरी को गुरुग्राम के डीसी कार्यालय पर बड़ी संख्या में एकत्र होकर श्रम विभाग और कंपनी प्रबंधन के समक्ष अपनी मांगों को प्रस्तुत करने का आह्वान किया। इस सभा में आगे की गतिविधियों के समन्वय के लिए प्रतिनिधिमंडल का भी चुनाव किया गया।

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शंभू और खनौरी बॉर्डर पर 10 महीने से जारी गतिरोध खत्म किया जाए, PM से अपील

एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के नेता, 73 वर्षीय जगजीत सिंह दल्लेवाल के आमरण अनशन के प्रति पूरी तरह से उपेक्षा और संवेदनहीन रवैया अपनाया गया है, जो कि डॉक्टरों के अनुसार बहुत गंभीर है और अगर उपवास वापस नहीं लिया गया तो कार्डियक अरेस्ट और मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर का बहुत अधिक खतरा है। फिर भी सरकार के किसी भी प्रतिनिधि को जगजीत सिंह दल्लेवाल या सीमाओं पर बैठे प्रदर्शनकारी किसानों के समूह से बातचीत करने या सुनने के लिए नहीं भेजा गया है।

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सभी धर्मों का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना है: लियोपोस्दो जिरोली

प्रो. रमेशचंद्र नेगी (केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षण संस्थान सारनाथ), भाई धर्मवीर सिंह (ग्रंथी गुरुद्वारा), प्रो. सुमन जैन बी.एच.यू. , डॉक्टर सुनीता चंद्रा (कुलसचिव, तिब्बती संस्थान सारनाथ), स्वामी विश्वआत्मानंद (अद्वैत आश्रम ), मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी (मुफ्ती– ए –बनारस), प्रो. विशंभरनाथ मिश्र (महंत संकटमोचन), आदि ने अपने विचारों द्वारा इस कार्यक्रम की सार्थकता और उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला।

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ओडिशा: बिजली निजीकरण और प्रीपेड स्मार्ट मीटर के खिलाफ किसानों के संघर्ष को SKM का समर्थन

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने ओडिशा के मुख्यमंत्री से बदले की कार्यवाही से दूर रहने का किया आग्रह और पीएम मोदी से वादा निभाने और चर्चा शुरू करने की मांग …

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बनारस: मिर्जा गालिब सेंटर में खुला साहित्य क्लब, कलाकार सुरेश नायर का सम्मान

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. लेनिन ने कहा कि इंडो-जर्मन सोसाइटी, रेमसाइड, जैसी संस्था के सहयोग लिट्रेचर क्लब का उद्घाटन किया जा रहा है जो काफी सराहनीय और यहां के लोगों के लिए उत्साहवर्धक है। यह सेंटर इलाके में बहुलतावाद के प्रतीक को स्थापित करते हुए इस इलाके से और भी क्षेत्रों तक इसका प्रभाव फैलाएगा और दूर -दूर तक के लोग इसका लाभ ले सकेंगे।

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बेरोजगारों के सबसे आत्मीय कथाकार हैं अमरकांत: प्रणय कृष्‍ण

आजादी के बाद नए भारत में जनता, विशेषकर किसानों, युवाओं और श्रमिकों की उम्मीदें निराशा में बदलती गई हैं, उसको अमरकांत ने बहुत ज़हीन ट्रिक से अभिव्यक्त किया। उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन की बहुस्तरीय आवाज़ों को अपनी कहानियों व उपन्यासों में दर्ज किया। उन्होंने आजाद भारत में उभर रहे सांप्रदायिक ख़तरे, मध्यवर्ग के भीतर सामंती प्रवृतियों की गहराई से शिनाख्त की।

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