
वो जो सवाल करता रहा… : अनिल चौधरी की याद में
उन्हें कभी ख़ुद को केंद्र में रहने का शौक़ नहीं था। उन्होंने हमेशा वह रास्ता चुना जो लंबा था, मुश्किल था, लेकिन जिसमें सांगठनिक प्रक्रियाओं का निर्माण था, लोगों की ताक़त बढ़ाने की कोशिश थी, और नीचे से नेतृत्व को उभारने की मेहनत थी। 14 अप्रैल 2025 को कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद उनका निधन हुआ। वे शायद कोई श्रद्धांजलि सभा पसंद न करते, लेकिन उस इंसान की बात किए बिना नहीं रहा जा सकता जिसने न सिर्फ हम में से कई लोगों को, बल्कि उस राजनीतिक स्थान और माहौल को बनाने में चार दशकों में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
Read More