यादगार क्यों रह जाएगा काशी में दिवंगत अनिल चौधरी का अंतिम तर्पण!

काशी की धरती और लोगों ने देर से सही, लेकिन अपने प्रिय गुरु दिवंगत अनिल चौधरी का सुव्‍यवस्थित, सुचिंतित और भव्‍य तर्पण किया। संयोग से, इस साल का पितृपक्ष कल से शुरू होने जा रहा है। इस मौके पर काशी और अनिल चौधरी को याद करने का केवल यह मंतव्‍य है कि उनकी आत्‍मा अब मुक्‍त होकर हजारों देहों के माध्‍यम से आने वाले समय में मुक्ति के सपनों को अपना स्‍वर दे।

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हिरासत में हुई मौतें: PVCHR के दखल पर झारखंड-ओडिशा की सरकारों को NHRC का नोटिस

मानवाधिकार आयोग का यह कदम अंतरराष्‍ट्रीय मानवाधिका संस्‍थाओं के लिए एक नजीर है कि राज्‍यों को बसे कमजोर की रक्षा करनी चाहिए, उपेक्षा नहीं

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काशी की गलियों से फुकेट तक: एक जननेता का वैश्विक सम्मान

श्रुति नागवंशी की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो काशी की गलियों से भी दुनिया को बदला जा सकता है। यह पुरस्कार केवल उनका नहीं है — यह हम सबका है, जो एक विविध, समावेशी और गरिमामय भारत का सपना देखते हैं।

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स्मृतिशेष: अनिल चौधरी, एक प्रतिबद्ध जनसरोकार योद्धा​

अनिल चौधरी का जीवन हमें सिखाता है कि कैसे संस्थागत सीमाओं से परे जाकर, विचारधारा और प्रतिबद्धता के साथ सामाजिक परिवर्तन लाया जा सकता है। उनकी शिक्षाएं और संघर्ष हमें आज भी प्रेरित करते हैं कि हम लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के लिए निरंतर प्रयासरत रहें।​

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निजी अनुभव से सामूहिक मुक्ति तक: बनारस के दलितों पर लियोनार्डो वेर्जारो की एथनोग्राफी

लियोनार्डो का वाराणसी के दलितों पर काम एक चमकदार उदाहरण है कि मानवविज्ञान की जड़ें यदि निजी करुणा और सामूहिक कार्रवाई में हों तो वह कहीं ज्‍यादा न्‍यायपूर्ण और करुणामय जगत की राह रोशन कर सकता है। लियोनार्डो का बनारस में किया फील्डवर्क पूरी दुनिया के लिए निजी और सार्वजनिक के बीच संबंध को समझने का एक दस्‍तावेज है।

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सम्मान केवल निजी उपलब्धि नहीं, हाशिये के लिए संघर्ष का प्रमाण है: एक आत्मस्वीकृति

इस समय, जब व्यक्तिगत और पेशेवर मोर्चे पर चुनौतियां हमारे सामने खड़ी हैं, यह सम्मान हमारे लिए आशा और हिम्मत का प्रतीक बनकर आया है। यह हमें विपरीत परिस्थितियों का सामना करने और हर बाधा के खिलाफ मजबूती से खड़े रहने की प्रेरणा दे रहा है।

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बनारस: मिर्जा गालिब सेंटर में खुला साहित्य क्लब, कलाकार सुरेश नायर का सम्मान

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. लेनिन ने कहा कि इंडो-जर्मन सोसाइटी, रेमसाइड, जैसी संस्था के सहयोग लिट्रेचर क्लब का उद्घाटन किया जा रहा है जो काफी सराहनीय और यहां के लोगों के लिए उत्साहवर्धक है। यह सेंटर इलाके में बहुलतावाद के प्रतीक को स्थापित करते हुए इस इलाके से और भी क्षेत्रों तक इसका प्रभाव फैलाएगा और दूर -दूर तक के लोग इसका लाभ ले सकेंगे।

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पटना घोषणा: बिहार के सभी राजनैतिक दल “फ्रंट-ऑफ-पैकेज लेबलिंग” के लिए हुए एकमत

सभी राजनैतिक दल के प्रतिनिधियो ने पटना घोषणा पत्र का विमोचन किया करके घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करके अपना समर्थन दिया| सभी प्रतिनिधियों ने , अपने संबंधित दलों के आगामी चुनावी घोषणापत्रों पर हस्ताक्षर करके इन मांगों को शामिल करने का वादा किया।

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असंचारी रोगों और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर शिकायतों के जवाब में NHRC की निर्णायक कार्रवाई

एनएचआरसी स्वास्थ्य मंत्रालय और एफएसएसएआई को अनुस्मारक और नोटिस जारी करता रहा है, जिसका कोई जवाब नहीं मिला। अब जो नोटिस जारी किया गया है उसे नज़रअंदाज़ करना मुश्किल होगा क्योंकि यह जनमानस की जरूरत है।

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यूपी और बिहार के गरीबों के बीच बढ़ता जा रहा है हानिकारक पैकेटबंद खाने का चलन: अध्ययन

भारत में खाद्य और पेय उद्योग 34 मिलियन टन की बिक्री के साथ दुनिया के सबसे बड़े उद्योगों में से एक है। यूरोमॉनिटर के आंकड़ों के अनुसार, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत 2020 तक दुनिया में पैकेज्ड फूड के लिए तीसरे सबसे बड़े बाजार के रूप में उभरने के लिए तैयार है।

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