कोरोनाकाल में स्कूली शिक्षा के अभाव ने बच्चों का भविष्य अंधेरे में छोड़ दिया है

आभासी कक्षा उनके लिए वरदान सिद्ध हुई हैं जो घर बैठे पढ़ना चाहते हैं-जैसे विवाह के बाद तमाम लड़कियों की शिक्षा बाधित हो जाती है, तो वे इसका लाभ ले सकती हैं। पैर टूट जाए तो भी कोई छात्र घर पर कक्षाएं कर सकता है पर सामान्‍य स्थिति में बच्चों के लिए यह बिल्कुल कारगर नहीं है। गाँधी जी ने जो ट्रिपल एच (मस्तिष्क, हृदय और हाथ) के विकास की अवधारणा दी है उसमें यह बिल्कुल असफल है। ऑनलाइन कक्षा केवल विकल्प है, इससे केवल काम चलाया जा सकता है, यह पूर्ण समाधान नहीं है।

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IIMC: गूगल पर DP बदलने के कारण ऑनलाइन मीट में 30 आइडी ब्लॉक, छात्रों ने फिर उठायी आवाज़

IIMC प्रशासन गोलमटोल बात कर रहा है। छात्रों को व्यक्तिगत तौर पर धमकी दी जा रही है। उन्हें क्लास में डांट-डपट किया जा रहा है पर छात्र अपनी बात मजबूती से प्रशासन के सामने रख रहे हैं।

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डिजिटल शिक्षा और बढ़ती खाई: EWS कोटे के संदर्भ में

दुनिया में कोरोना महामारी बहुत तेजी से फैल रही है. इसी के चलते भारत में भी 24 मार्च से लॉकडाउन कर दिया गया जिसके चलते सभी स्कूलों को भी बंद …

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