जातिगत जनगणना क्यों जरूरी है?

इससे सबसे पहले तो सभी राजनीतिक दलों को अपना लोकतांत्रीकरण करने को मजबूर होना होगा। इसके बाद सरकार को नयी श्रेणियों की रचना करनी पड़ सकती है। अनुसूचित जाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/घुमंतू-विमुक्त में शामिल कई जातियां इधर से उधर हो सकती हैं।

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A Rabari Woman

लोकतंत्र में हिस्सेदारी और आज़ादी के अनुभव: घुमंतू और विमुक्त जन का संदर्भ

पिछले 12 अक्टूबर 2020 को भारत भर के घुमंतू एवं विमुक्त समुदाय के बुद्धिजीवियों, नेताओं और शोधकर्ताओं ने 1871 के ‘क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट’ की 150वीं वर्षगाँठ मनाने का निर्णय लिया है। यह भारतीय इतिहास का कोई गौरवशाली क्षण नहीं है बल्कि यह अन्याय और हिंसा की राज्य नियंत्रित परियोजनाओं का सामूहिक प्रत्याख्यान है।

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कोरोना काल में मांग कर खाने को मजबूर हैं बाँसफोर और बहेलिया जैसी घुमंतू जातियों के लोग

कोरोना ने उनकी सम्पूर्ण रोज़ी रोटी पर ही वार किया है। ये यूपी के आजमगढ़ से आये लोग हैं और उनके समुदाय के लोग गाजीपुर बलिया, मऊ, गोरखपुर, बहराइच आदि में घूम-घूम कर रहते है। ये अपनी जाति बीन बंशीबासफोर बताते हैं जो बाँसफोर समुदाय के अंतर्गत ही आते हैं।

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