जातिवाद की नींव पर टिके समाज में जातिगत जनगणना का क्या मतलब है

बिहार के एक वरिष्ठ नौकरशाह कहते हैं, ‘बिहार का जातिवाद बिल्कुल ही अलग है। बाकी जगहों पर आप देखेंगे कि क्षेत्रवाद हावी हो जाता है जातिवाद पर। बिहार में हरेक पहचान से अलग और ऊपर जाति हावी है। सबकी पसंद आखिरकार जाति पर ही जाकर टिक जाती है, विनाश का यही मूल कारण है।’

Read More

लालू यादव से मोहब्बत के लिए चाहिए वो नजर जिसमें सामाजिक न्याय की आस हो!

वे ऐसी शख्सियत हैं जिसने करोड़ों लोगों की जिंदगी को कई तरह से प्रभावित किया है- सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से। बहुसंख्य अल्पसंख्यकों, पिछड़ों व दलितों में उनकी छवि मसीहा की है तो सवर्णों, थिंक टैंक, मीडिया, इंटेलीजेंसिया में वह आंबेडकर के बाद भारतीय समाज के सबसे बड़े खलनायक हैं। आज उसी लालू यादव की 74वीं वर्षगांठ है।

Read More

बिहार चुनाव और राम मंदिर के भूमि पूजन से ठीक पहले आ रही है लालू प्रसाद यादव के भाषणों की किताब

इन भाषणों में लालू प्रसाद बिहार विधान सभा के नेता विपक्ष के रूप में उभरते संसदीय जनप्रतिनिधि से लेकर मुख्यमंत्री और रेलमंत्री के रूप में सीजंड जनप्रतिनिधि की तरह दीखते हैं.

Read More