बिहार: मुसहर समुदाय की महिलाओं के साथ कई स्तरों पर होती है हिंसा

मुसहरी बस्ती की महिलाएं कहती हैं कि उन्हें केवल शारीरिक ही नहीं बल्कि जन्म से मानसिक हिंसा भी झेलनी पड़ती है। बचपन से उसे दहेज के लिए अपने बाप-दादा से गरीबी और लाचारी की व्यथा सुननी पड़ती है। उसे जन्म लेना उस समय पाप लगता है जब उसके परिवार से दहेज की मांग की जाती है।

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Listen To Her: रोज़ाना अनसुनी रह जाती हुई चीखें

यह फिल्म जैसे हमारे समय के अंधेरे चेहरे पर आईने की रोशनी भर दिखाती है, लेकिन उस क्षणिक रोशनी में एक त्रासद, कंडीशंड और तकलीफ़ों से भरी दुनिया हठात हमारे सामने दिख जाती है जिसके कई आयाम और समानान्तर कथाएं हैं।

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“कोरोना मने भूख से मरने की बीमारी”- दक्षिणी राजस्थान की आदिवासी औरतें ऐसा क्यों सोचती हैं?

हम यह देखने में चूक रहे हैं कि काम बंद नहीं हुआ है. बस अवैतनिक, अदृश्य और घर के भीतर महिलाओं द्वारा पहले की तुलना में कहीं ज़्यादा काम किया जा रहा है

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लॉकडाउन में फैलती मर्दवाद की महामारी से कैसे निपटें?

महिला आयोग के मुताबिक पहले चरण के लॉकडाउन के एक सप्ताह के भीतर ही उनके पास घरेलू हिंसा की कुल 527 शिकायतें दर्ज की गयी हैं

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