जब क़यामत बनकर गिरा आकाश और सब कुछ निगल कर चला गया…


कोरोना के चलते देश में की लागू गयी घरबंदी से अस्पताल, सड़कों और रेल पटरियों पर एक ओर जहां लाशों का ढेर बड़ा होता जा रहा है, वहीं 20 मई को बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान अम्फन ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल में तबाही मचा दी है। यह तूफान इतना भयानक था कि इससे हुए नुकसान का सही आकलन करने में अभी काफी वक्त लगेगा। इससे हुई क्षति से उबरने में दोनों राज्यों को कई बरस लग जाएंगे। इस तूफान के गुजरने के बाद जो तस्वीरें सामने आयी हैं वे दिल दहलाने वाली हैं।

कई जगह लाशें पानी में तैर रही हैं। कुछ लाशें पेड़ों और बिजली के खंबों के नीचे कुचली पड़ी हैं. इंसानी लाशों के साथ-साथ मरे हुए पशु-पक्षी भी जहां-तहां नज़र आ रहे हैं। इंसानी मौतों की सटीक संख्या अभी उपलब्ध नहीं है। विनाश की जो तस्वीरें सामने आयी हैं उससे मृतकों की संख्या सैकड़ों हो सकती है जो फिलहाल 80 पार कर चुकी है। राज्य के सुदूर और गांगीय क्षेत्रों से ख़बरें आनी अभी बाकी हैं। इस तूफान से सुदंरबन डेल्टा को भारी नुक़सान पहुंचा है, लेकिन अब तक वहां से पूरा ब्योरा नहीं मिल सका है।

उत्तर और दक्षिण 24-परगना ज़िले पूरी तरह से बरबाद हो चुके हैं। छह हज़ार से ज़्यादा कच्चे मकान ढह गये हैं। कई बांध और जेटियां टूट गयी हैं। इसके अलावा दीघा, मिदनापुर और हल्दिया में भारी तबाही हुई है।

लाखों पेड़ टूटे हैं। लाखों हेक्टेयर जमीन पानी में डूबी हुई है। सड़कों पर जहां-तहां गिरे हज़ारों पेड़, बिजली और केबल के टूटे तार और खंबे, हवा के ज़ोर से एक-दूसरे से टकरा कर क्षतिग्रस्त हुई गाड़ियां, क्षतिग्रस्त मकान, सड़कों पर बिखरे शीशे, ज़्यादातर इलाक़ों में गुल बिजली है। तूफ़ान के असर से लगभग 1200 मोबाइल टावर बेकार हो गये हैं। मोबाइल फोन बंद पड़े हैं। कोलकाता एयरपोर्ट पानी में डूब गया है। कॉलेज स्ट्रीट में हजारों किताबें पानी में तैर रही हैं.

लगभग तीन घंटे तक 120 से 133 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से चली तेज़ हवाओं औऱ बारिश की वजह से भारी नुक़सान हुआ है। हवा की ताक़त से उड़ते कच्चे मकानों की छत, साइकिलें और दूसरी छोटी-मोटी चीज़ें हवा में उड़ रही थीं। कई वीडियो में यह भयानक मंज़र देखा जा सकता है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बुधवार पूरी रात राज्य सचिवालय में बने कंट्रोल रूम में बैठी रहीं. उन्होंने कहा है, “इस प्राकृतिक आपदा के मुक़ाबले कोरोना का संकट कुछ भी नहीं है। तूफ़ान की वजह से दक्षिण बंगाल में बिजली व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गयी है।” ममता बनर्जी ने कहा कि तूफान के कारण मारे गये लोगों के परिजनों को राज्य सरकार ने प्रत्येक 2 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।

बुधवार शाम को आये तूफ़ान अंफन से पश्चिम बंगाल और ओडिशा में हुए नुक़सान का जायज़ा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इन दोनों राज्यों का हवाई दौरा किया। प्रधानमंत्री कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसकी जानकारी दी गयी है।

बंगाल की आपदा की ख़बर को राष्ट्रीय मीडिया में वो जगह नहीं मिली जो मिलनी चाहिए थी। रूद्रप्रयाग की प्रलय को किस तरह दिखाया था इसी मीडिया में, याद करके देखिए। कथित राष्ट्रीय मीडिया को कोरोना संक्रमण हो गया है। उसके पास न तो सड़क पर मर रहे मजदूरों के लिए समय है न ही बंगाल-ओडिशा में हुई तबाही के प्रति कोई संवेदना। बंगाल की आपदा को दिखाने में नेशनल मीडिया पूरी तरह से नाकाम रहा।

इस तूफ़ान का सही उच्चारण ‘उमपुन’ है जो थाई शब्द है। इसका अर्थ है आकाश. मने आकाश उमपुन बन कर आया और सब निगल कर चला गया। यह बीते पचास साल में सबसे भयंकर तूफान था। आइला से भी शक्तिशाली।


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