बनारस की प्रतिभाशाली पत्रकार रिज़वाना तबस्सुम की ख़ुदकुशी का मामला अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में पहुंच चुका है। बनारस के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. लेनिन ने इस मामले में आयोग में एक शिकायत दर्ज करवायी है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
इस बीच रिज़वाना की मौत से जुड़ी कुछ नयी बातें सामने आयी हैं। मसलन, एक वीडियो उनकी छोटी बहन नुसरत का आया है जिसमें मौत की रात रिज़वाना और आरोपित युवक शमीम के बीच फोन पर बहस के बारे में बताया गया है, जिसका सम्बंध लोहता की बुनकर बस्ती में गरीबों के बीच राशन बंटवाने के साथ है। यह वीडियो वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत ने अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर पोस्ट किया है।
इस वीडियो को देखा जाना चाहिए, जिसमें नुसरत ने बताया है कि राशन वितरण को लेकर रिज़वाना और शमीम के बीच बहस छिड़ी थी जिसे लेकर रिज़वाना डिप्रेस हो गयी थी। उसके बाद ही उसने आत्महत्या की।
इस वीडियो में बस्ती में राशन भिजवाने वाले जिन सामाजिक कार्यकर्ता फादर आनंद का ज़िक्र है, वे बनारस नागरिक मंच नाम की संस्था चलाते हैं। जनपथ से बातचीत में उन्होंने बताया कि उनकी संस्था 25 मार्च से ही राहत के कार्य में जुटी है लेकिन रिज़वाना के माध्यम से उन्होंने यह काम नहीं किया है।
फादर आनंद ने फोन पर कहा, “मुझे तो याद नहीं है कि पिछले कुछ दिनों में हमने उनको कुछ दिया है। हम लोग 25 मार्च से काम कर रहे हैं, उन्हीं दिनों में मोहम्मद बाबर नाम के पत्रकार से माध्यम से हमने वहां राशन दिया था।”
उन्होंने बताया, “रिज़वाना अलग अलग संस्थाओं में रिक्वेस्ट करती थी। एक बार हमने प्रयास किया तो पता चला कि किसी दूसरी संस्था ने वहां पर दे दिया है। हम लोगों ने पिछले कुछ दिनों से लोहता में काम नहीं किया। पिछले दिनों जब रिज़वाना वहां पर सक्रिय थी, तो किसी और संस्था से वहां पर राशन जा रहा था। मुझे ठीक से नहीं पता है। वैसे तो बहुत सारे अलग अलग संगठन दे रहे हैं।”
ध्यान देने वाली बात है कि रिज़वाना न सिर्फ पत्रकार थीं बल्कि अपनी पत्रकारिता के माध्यम से वंचित समुदायों की मदद भी करती थीं। हाल में ही उन्होंने अपने इलाके लोहता के बुनकरों की भुखमरी पर दि प्रिंट में एक स्टोरी की थी और उसके बाद क्षेत्र के बुनकरों को राहत सामग्री पहुंचवाने में सक्रिय थीं। शहर के एक पत्रकार बताते हैं कि रिज़वाना ने खुद अपनी जेब से पैसे खर्च कर के लोगों को मदद दी।
मौत से दो दिन पहले रिज़वाना ने शहर के शिवदासपुर स्थित रेडलाइट एरिया में भुखमरी की शिकार यौनकर्मियों की व्यथा अपनी टाइमलाइन पर लिखी थी, जिसके बाद उनके पास एक स्वयंसेवी संस्था ने मदद पहुंचायी।
रिज़वाना को खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोपित शमीम नोमानी भी इस बीच क्षेत्र में राहत कार्य में जुटे हुए थे। पुलिसवालों को पानी बांटते हुए उनकी एक तस्वीर सामने आयी है। शमीम के बारे में ही वीडियो में नुसरत दावा कर रही है कि फादर आनंद ने इन्हें राशन बांटने का काम दे रखा था।
फादर आनंद इससे इनकार करते हुए कहते हैं कि राहत सामग्री का वितरण तो एक पक्ष है, लेकिन दोनों के बीच प्रेम प्रसंग भी एक पक्ष था। यह बात पुलिस द्वारा जारी प्रेस नोट में भी कही गयी है।
सच चाहे जो हो, लेकिन इतना तो ज़ाहिर है कि रिज़वाना की ख़ुदकुशी से पहले शमीम के साथ फोन पर बहस के दो पक्ष रहे होंगेः एक निजी और दूसरा सामाजिक। सामाजिक काम पर निजी रिश्ते का दबाव और निजी सम्बंध में सामाजिक सरोकार का दबाव- इन्हीं दो पाटों के बीच फंसी रिज़वाना अपने द्वंद्व को हल नहीं कर सकी।
रिज़वाना ने अपनी जान लेने का जो फैसला लिया, उसके पीछे निजी और सामाजिक कारणों से मन में उपजा द्वंद्व था, जिसने उन्हें अवसाद में ला दिया था।
बनारस से लेकर दिल्ली तक सब ने कहा- तुम्हें इस तरह तो न जाना था, रिज़वाना