अंतत: सुप्रीम कोर्ट ने वही किया जो सुप्रीम लीडर चाहते थे. नए कानूनों के क्रियान्वयन (implementation) पर रोक लगाने का मतलब है कि एक न एक दिन रोक हटा ली जाएगी. कोर्ट ने कहा भी है कि यह रोक अनंतकाल के लिए नहीं है.
दूसरा, कोर्ट ने जो समिति बनाई है उसके चारों सदस्य नए कानूनों का समर्थन पहले ही कर चुके हैं. उनका बायोडाटा यह रहा :
1. शेतकारी संगठन के अनिल घणावत सरकार से अपील कर चुके हैं कि सरकार को नए कानून रद्द नहीं करना चाहिए. शेतकारी संगठन का जोशी धड़ा आज से नहीं, कई दशकों से कृषि क्षेत्र में खुले बाज़ार की वकालत करता रहा है. कृषि कानूनों पर अनिल घणावत की पोज़ीशन को देखने के लिए इस लिंक पर जाएं।
2. अशोक गुलाटी कह चुके हैं कि नए कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष दिग्भ्रमित है. यह सही दिशा में उठाया गया कदम है. गुलाटी का पक्ष यहां देखें।
3. डॉ. पी के जोशी पहले ही बता चुके हैं कि नए कानून को अगर कमजोर किया गया तो भारत कृषि क्षेत्र में विश्वशक्ति बनने से रह जाएगा. उनका पक्ष इस लिंक पर देखिए।
4. चौथे सदस्य BKU के भूपिंदर सिंह मान के संगठन के लोग हाल ही में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिल कर नए कानूनों के प्रति अपना समर्थन जता चुके हैं. कवर पर लगी तस्वीर उन्हीं के संगठन AIKCC की है जो दि हिंदू में छपी थी, जिसमें दिए जा रहे समर्थन पत्र पर मान के दस्तखत हैं।
मान राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं और पहले भी उन्होंने एक पत्र प्रधानमंत्री को लिखा था:
मतलब?
अब किसानों को आंदोलन खत्म करना होगा वर्ना लोग कहेंगे कि किसान सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं मानते।
कुछ दिन के अंतराल के बाद नया कानून फिर लागू हो जाएगा
समिति वही राय देगी जो सरकार चाहती है।
विश्वदीपक की फ़ेसबुक दीवार से साभार