गोवा के मेलाउली गांव से प्रस्तावित आइआइटी परियोजना के खिलाफ आज वहां विशाल विरोध मार्च का आयोजन हो रहा है, वहीं इस परियोजना को रद्द करने अथवा स्थानांतरित करने के लिए आदिवासी नेताओं ने सरकार को दस दिन का समय दिया है.
इन नेताओं ने कहा है ऐसा नहीं होने पर वे 20 जनजातीय संगठनों के साथ भारी विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे. इन नेताओं ने अनुसूचित जाति और ओबीसी नेताओं और मंत्रियों से अपील की है कि आदिवासियों पर पुलिसिया बर्बरता के खिलाफ आवाज उठाएं.
गोयचो कुल मुंदकरचो अवाज (जीकेएमए), गावड़ा, कुनबी, वेलिप और धनगर फेडरेशन (GAKUVED) एसोसिएशन ने आइआइटी परियोजना के खिलाफ मेलौली ग्रामीणों के आंदोलन का समर्थन करने के लिए जोंडवाल हॉल, पोंडा में एक बैठक की और शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे मेलौली ग्रामीणों पर महिलाओं और लाठीचार्ज पर पुलिस अत्याचारों की निंदा की.
एसटी नेताओं ने मांग की कि पीआई सागर एकोस्कर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और एक वृद्ध महिला के पेट पर लात मारने के लिए उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया जाये.
जीकेएमए के संयोजक रामकृष्ण ज़ल्मी ने कहा:
पिछले 60 वर्षों से ग्रामीण जमीन पर खेती कर रहे हैं और आजीविका के लिए पूरी तरह से इस पर निर्भर हैं. आंदोलनकारी स्थानीय लोग पिछले छह महीनों से भूखे हैं और इसलिए भूमि को उन्हें टेनेंसी एक्ट के अनुसार सौंप दिया जाना चाहिए.
इस बीच गोवा में प्रस्तावित आइआइटी के खिलाफ मौक्सी गांव के 300 युवाओं ने स्थानीय लोगों के समर्थन से मौक्सी गांव से मौलउली गांव तक एक विरोध मार्च का आयोजन किया जिसे पुलिस में बीच रास्ते में ही रोक दिया है.