सामाजिक राजनीतिक संगठनों के साझा मंच कैम्पेन अगेंस्ट स्टेट रिप्रेशन (सीएएसआर) ने दिल्ली युनिवर्सिटी के अंग्रेज़ी के शिक्षक हैनी बाबू की एनआइए द्वारा गिरफ्तारी की निंदा करते हुए एक साझा बयान जारी किया है।
बयान में बताया गया है कि हैनी बाबू को 23 जुलाई को एनआइए ने मुंबई बुलाकर पूछताछ की थी और एक गवाह के बतौर उन पर मुंबई आने का दबाव डाला था। उन्हें दूसरे व्यक्तियों के खिलाफ गवाही देने के लिए बाध्य किया गया जिसे स्वीकार करने से हैनी बाबू ने इनकार किया। पांच दिन तक लगातार पूछताछ के बाद एनआइए ने उन्हें मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया।
बयान में हैनी बाबू को जाति विरोधी एक्टिविस्ट बताया गया है जो युनिवर्सिटी के भीतर और बाहर सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत रहे। सामाजिक न्याय कार्यकर्ता के रूप में हैनी बाबू की छवि को दिलीप मंडल जैसे कुछ ओबीसी विचारकों ने भी मज़बूती से रेखांकित किया है और उनके समर्थन में पोस्ट लिखी है।
उच्च शिक्षा संस्थानों में ओबीसी आरक्षण के संघर्ष में हैनी बाबू की भूमिका को रेखांकित करते हुए उनके समर्थन में ओबीसी और दलित कार्यकर्ता भी उतर आये हैं। इससे पहले भीमा कोरेगांव केस में गिरफ्तार 11 बुद्धिजीवियों के मामले में ऐसा एकजुट समर्थन देखने को नहीं मिला था।
हैनी बाबू को जमात-ए-इस्लामी के छात्र संगठन एसआइओ की ओर से भी समर्थन मिला है। साथ ही बिरा अम्बेडकर फुले छात्र संगठन (बाप्सा) ने भी गिरफ्तारी के विरोध में अपील जारी की है।
लेखिका अरुंधति रॉय ने इस गिरफ्तारी पर कहा है कि “देश में एक्टिविस्टों, अकादमिकों और वकीलों की लगातार हो रही गिरफ्तारी सरकार की इस समझदारी का प्रतिबिंब है कि ये लोग जिस उभरती हुई जाति विरोधी, पूंजीवाद विरोधी सेकुलर राजनीति की नुमाइंदगी करते हैं वह हिंदू फासीवाद का एक वैकल्पिक आख्यान रचती है और सरकारी की अपनी हिंदू राष्ट्रवादी नीतियों के लिए सांस्कृतिक, आर्थिक व राजनीतिक रूप से स्पष्ट खतरा पैदा करती है जिसके चलते यह देश एक ऐसे संकट में चला गया है जहां सैकड़ों लाखों लोगों की जिंदगी तबाह हो गयी है, विडम्बना है कि इन लोगों में खुद सरकार के समर्थक भी शामिल हैं।”
कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल ने भी हैनी बाबू का नाम लिए बगैर एक ट्वीट किया है।
सीएएसआर ने वक्तव्य में चार मांगें उठायी हैं: भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार सभी की तत्काल रिहाई, सभी एंटी सीएए, एनआरसी और एनपीआर एक्टिविस्टों की रिहाई, जेल में भीड़ के चलते सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई और यूएपीए, पीएसए, एनएसए सहित सभी काले कानूनों की समाप्ति।
सीएएसआर करीब तीन दर्जन संगठनों का एक मंच है जिसमें वामपंथी मजदूर संगठन, छात्र संगठन, नारीवादी संगठन और भीम आर्मी भी शामिल है।
पूरा बयान नीचे अंग्रेज़ी में दिया जा रहा है।
CASR-Hany-Babu-statement-July-28-2020