क्या हरियाणा में परिवर्तन की नई संभावना होंगी कुमारी शैलजा?


हरियाणा में कांग्रेस के एसआरके गुट द्वारा की जा रही ‘जन संदेश यात्रा’ को मिल रहे समर्थन ने प्रदेश में कांग्रेस के अन्य गुटों को हैरान कर दिया है।

कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी गुट (एसआरके) को हरियाणा में कहीं कुछ खास समर्थन नहीं मिलेगा ऐसा काफी समय से कहा जाता रहा था। विगत में हुए लोकसभा व राज्यसभा के चुनावों में अपने-अपने क्षेत्रों में मिली विफलताओं के लिए इस गुट को ही अधिक जिम्मेदार भी ठहराया जाता रहा है। विपक्षी राजनीतिक दलों व विरोधी गुट द्वारा इस गुट का धरातल पर कोई बड़ा जनाधार नहीं होने के लेबल भी लगाए जाते रहे हैं। 

कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’  के सन्देश को प्रदेश में 90 विधानसभा तक पहुँचाने के उद्देश्य से शुरू की गई इस यात्रा में जिस तरह लोग कड़ाके की ठंड में बाहर आए हैं और देर रात तक सड़कों पर दिखाई दिए, ऐसी उम्मीद शायद एसआरके गुट को भी न रही होगी।

हरियाणा में हुड्डा गुट बहुत पहले से ही राहुल गाँधी के संदेश ‘ हाथ से हाथ जोड़ो’ अभियान के तहत निरंतर हर लोकसभा क्षेत्र में बड़ी रैलियां कर रहा था जो कि एक तरह से हुड्डा गुट का शक्ति प्रदर्शन व व्यापक समर्थन का पर्याय बनाया जा रहा था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर हुड्डा के बेटे व वर्तमान में राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी अपने पूरे दमखम व एकाग्रता से कांग्रेस पार्टी के ‘हर घर कांग्रेस घर घर कांग्रेस’ के अभियान में जुटे हैं और निरंतर प्रदेश को मथ रहे हैं। दीपेंद्र हुड्डा के समर्थकों द्वारा हर मंच से अबकी बार फिर से हुड्डा सरकार व दीपेंद्र हुड्डा भविष्य के मुख्यमंत्री का एक संदेश साफ तौर पर उभारा जा रहा है। 

प्रदेश में एसआरके गुट की जन संदेश यात्रा को मिल रही सफलता व आम लोगों में इस गुट की स्वीकार्यता ने अब हुड्डा गुट को खास कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान तक को इनके पक्ष में बोलने पर विवश कर दिया है। हालांकि प्रदेश के प्रभारी दीपक बावरिया ने यात्रा से ठीक पहले आधिकारिक पत्र जारी करके इस यात्रा को ख़ारिज करने एलान किया था और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को किसी भी ऐसी यात्रा से दूर रहने की हिदायत दी थी। ऐसा माना जाता है के भूपेंदर हुड्डा के दबाव के चलते दीपक बावरिया ने ऐन वक़्त पर ये पत्र जारी किया था, लेकिन कुमारी शैलजा ने यात्रा को शुरू करके एक साफ सन्देश विरोधी गुट को दिया है यह भी कहा जाने लगा है।

कुमारी शैलजा की कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व सोनिया गांधी, राहुल, प्रियंका व मल्लिकार्जुन खड़गे से करीबी जगजाहिर है। यूं भी कुमारी शैलजा वर्तमान में कांग्रेस में महासचिव के पद पर हैं व उत्तराखंड की प्रभारी भी हैं।  

प्रदेश में राजनीतिक सामाजिक समीकरण को जिस तरह से पिछले 10 वर्षों से भाजपा ने अपने पक्ष में किया और एक धारणा को प्रचारित किया उसके परिणामस्वरूप मतदाताओं का एक ठोस पारंपरिक वर्ग कांग्रेस से दूर हुआ जो सत्ता प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहता है। समाज के उपेक्षित व पिछड़े वर्ग को साधने के लिए कांग्रेस की रणनीति के तौर पर इस कदम को देखा जाने लगा है।

जातीय समीकरणों को साधने की, संतुलित करने की कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती रही जिसके चलते कांग्रेस पिछले चुनावों में अपेक्षित सफलता से दूर ही रह गई थी। बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में कांग्रेस की ये रणनीति प्रदेश में एक परिवर्तन की संभावना को मजबूत करती है।

देश में लोकसभा और हरियाणा में विधानसभा के चुनाव 2024 में होने हैं। दोनों ही जगह सत्ता में भाजपा पिछले दो चुनावों से निरंतर बनी हुई है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भाजपा को हरा कर फिर से सत्ता प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है। कांग्रेस के ये नीतिगत बदलाव तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद देखने को मिल रहे हैं। कांग्रेस अब सभी समाजिक वर्गो के प्रतिनिधित्व व भागीदारी को सुनिश्चित करने की ओर बढ़ती लग रही है।

राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में कांग्रेस कोई भी अवसर अब गंवाने से बचेगी तो ही सफलता को हासिल कर पाएगी, यह साफ-साफ राजनीति की दीवार पर लिखा है।


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