फिलीपींस: लाल टैग वाले 9 कार्यकर्ताओं की एक साथ की गयी हत्या पर UN ‘स्तंभित’ है!


फिलीपींस में बीते इतवार लाल टैग वाले 9 सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक साथ की गयी हत्‍या पर संयुक्‍त राष्‍ट्र के मानवाधिकार कार्यालय (यूएन-ओएचसीएचआर) ने एक बयान जारी कर के कहा है कि वह इस घटना से ‘’स्‍तंभित’’ है।

ओएचसीएचआर की प्रवक्‍ता रवीना शमदासानी के अनुसार उनके कार्यालय को इतवार को दिन में सवा तीन बजे यह सूचना मिली कि मनीला की एक अदालत द्वारा जारी किए गए सर्च वारंट के बाद पुलिस और सेना की तलाशी के दौरान ये हत्‍याएं हुईं। मारे गए 9 कार्यकर्ताओं में एक महिला भी है।

उन्‍होंने कहा, ‘’हम इस बात से गहरे चिंतित हैं कि ये ताजा हत्‍याएं मानवाधिकार रक्षकों की रेड टैगिंग, हिंसा, उत्‍पीड़न और दमन में तेजी का संकेत हैं।‘’

भारत के “शहरी नक्सल” तमग़े के जैसा ही “रेड-टैगिंग” का एक लेबल वहां व्यक्तियों या समूहों (मानवाधिकार रक्षकों और गैर-सरकारी संगठनों सहित) को कम्युनिस्ट या आतंकवादी के रूप में चिह्नित करने के लिए लाया गया था जिससे नागरिक समाज और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को गंभीर खतरा उत्पन्न हुआ है।   

मारे गए लोगों में एक श्रम अधिकार कार्यकर्ता, मछुआरों के अधिकारों पर काम करने वाला एक कार्यकर्ता दम्‍पत्ति शामिल हैं। इसके अलावा दो मूलनिवास अधिकार कार्यकर्ता और दो आवास के अधिकार पर काम करने वाले लोग हैं। लोगों के आवास के अधिकार की बात करने वाले एक कार्यकर्ता को बेघर कर दिया गया है। छह अन्‍य को गिरफ्तार किया गया है।

इस घटना के दो दिन पहले ही राष्‍ट्रपति रोद्रिगो दुएर्ते ने कानून अनुपालक एजेंसियों से मानवाधिकार को भूलकर कम्‍युनिस्‍टों की हत्‍या करने को कहा था। इससे पहले भी वे ऐसी चेतावनियां दे चुके हैं। इससे पहले दिसंबर 2020 में भी कुछ कार्यकर्ताओं के घर छापा मारा गया था और एक मूलनिवासी समूह के 9 लोगों की हत्‍या कर दी गयी थी। इन सभी छापों में मारे गए लोगों के ऊपर सरकारी लाल टैग था।

राष्ट्रपति दुएर्ते का कार्यकाल ड्रग माफिया के ख़िलाफ़ चले अभियानों और उससे जुड़े विवादों से भरा हुआ है। इस अभियान में अभी तक सुरक्षा बलों के हाथों अनुमानित 30,000 मौतें हुई हैं। मारे गए लोगों में कई ऐसे भी शामिल हैं जो मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल नहीं थे। सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब, ग्रामीण और हाशिये के लोग हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने अपने एक दस्तावेज में कहा है कि 2015 और 2019 के बीच कम से कम 248 मानवाधिकार रक्षक, कानूनी पेशेवर, पत्रकार और ट्रेड यूनियन से जुड़े लोग मारे गए हैं। 

दुएर्ते के राज में ये तमाम हत्‍याएं ड्रग माफिया से लड़ने की आड़ में की जा रही हैं। उन्‍होंने ड्रग माफिया के ख़िलाफ़ लड़ाई को लेकर एक बाहुबली और मजबूत नेता की छवि बनायी है, जो उनके भाषणों में बार-बार आता है। एक ताकतवर संरक्षक की तरह अपने भाषणों में विशेष अन्दाज़ में वे बार-बार कहते हैं, पापातायिन कीता मतलब “मैं तुम्हें मारूंगा” और थोड़ा आगे जाकर कहते हैं, “यदि ड्रग्स देकर मेरे देश के युवाओं को नष्ट करोगे, तो मैं तुम्हें मार दूंगा, मारो, मारो”।

बिलकुल वैसे ही, जैसे हमारे यहां हाल के चुनावों में कुछ नेताओं ने देश के ग़द्दारों को, गोली मारों सालों को का नारा मशहूर कर दिया था। इस बात की परिणति हाल के घटनाक्रम में साफ़ दिखती है।


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