मऊ से वर्कर्स फ्रंट से जुड़ी बुनकर वाहिनी के अनुसार उन्हें 1 हॉर्स पॉवर बिजली कनेक्शन के लिए 72 रुपये प्रतिमाह सस्ती बिजली देने की सरकारी योजना का लाभ जुलाई से बंद करने का फैसला लिया गया है, जबकि इसी योगी मॉडल की तारीफ के कसीदे पढ़े जा रहे हैं।
कोरोना महामारी व लाकडाउन के चलते MSME (लघु, छोटे व मध्यम उद्योगों) के बन्द होने से उनकी अर्थव्यवस्था काफी हद तक चरमरा गयी है। इससे न सिर्फ बेरोजगारी के कारण मजदूरों का जीवन निर्वाह कठिन हुआ है बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी काफी विपरीत प्रभाव पड़ा है।
गुरसहायगंज के एक उत्साही युवा व्यवसायी विकास गुप्ता जी द्वारा लगभग एक साल पहले 100 केवीए का विद्युत संयोजन लिया गया था और अपना छोटा सा उधोग शुरू किया गया था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण चौपट हुए व्यवसाय व बिलमाफी भी न मिलने के कारण मजबूरन अब वह अपना विद्युत कनेक्शन कटवाने की प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं।
MSME संचालकों की सरकार से अपेक्षा थी कि लॉकडाउन काल में बन्द रहे उद्योगों को आर्थिक मदद सहित बिजली के बिल माफ किये जायेंगे लेकिन अध्यक्ष, पावर कारपोरेशन द्वारा वाणिज्यिक व औद्योगिक उपभोक्ताओं को 30 जून 2020 तक अपने बकाया बिल का पूर्ण भुगतान करने की सूचना दी जा रही है, ताकि उन्हें जुलाई 2020 के बिल में फिक्स चार्ज माफी का लाभ दिया जा सके।
मोदी जी ने तो देश के राज्यों को ही नहीं दुनिया के कई देशों को इससे सीखने की सलाह तक दे डाली जबकि रोज वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के विकास की घोषणा व इन सबके जरिये करोड़ों रोजगार पैदा करने की बात करने वाली सरकार ने एमएसएमई सेक्टर की बिजली बिल माफ करने की छोटी सी मांग को भी स्वीकार नहीं किया।
समाचार पत्रों से सूचनाएं है कि बिजली बिल न देने पर एफआइआर दर्ज की जा रही है।
ऐसी स्थिति में वर्कर्स फ्रंट, उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करता है कि माह अप्रैल, मई व जून 2020 के विद्युत बिल व ईएमआइ माफ की जायें तथा हर सम्भव आर्थिक मदद की जाये ताकि सरकार की मंशा के अनुरूप MSME का संचालन सम्भव हो सके तथा प्रदेश में रोजगार सृजन के साथ-साथ प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो सके।
इं. दुर्गा प्रसाद
अधिशासी अभियंता (सेवानिवृत्त),
उपाध्यक्ष, वर्कर्स फ्रंट, आगरा