पिछले सप्ताह, जब कि कोविड-19 वायरस हर दिन 10,000 से अधिक लोगों की जानें ले रहा था, जी-7 के नेता पैंडेमिक के अंत की अपनी योजनाओं पर विमर्श के लिए मिले।
फ़रवरी में जी-7 की पिछली बैठक के बाद से कोविड-19 से दस लाख और लोगों की मौत हो चुकी है। निश्चित रूप से पैंडेमिक की एक नयी लहर चल रही है और इसी के साथ यह चेतावनी भी कि वायरस अभी आगे भी म्यूटेट कर सकता है और जिस पर विद्यमान वैक्सीनें निष्प्रभावी हो सकती हैं।
इस जानलेवा आकस्मिकता के बावजूद कॉर्नवाल में दुनिया को वैक्सीन लगाकर सुरक्षित करने की प्रतिबद्धता और योजना नहीं बन सकी। यहां तक कि कोविड-19 वैक्सीन की सौ करोड़ खुराक दान करने की शुरुआती प्रतिज्ञा भी- जो दुनिया की 11 सौ करोड़ खुराकों की ज़रूरत का एक अंश मात्र है, और वह भी डेढ़ वर्ष की अवधि में विस्तारित था- बैठक के समापन तक घट कर 87 करोड़ रह गयी, जिसमें से केवल 61 करोड़ 30 लाख वास्तविक नयी वृद्धि है।
हम इसकी कोई गम्भीर उम्मीद भी नहीं कर सकते कि जी-7 के नेता उस वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था को चुनौती देंगे जो उन्होंने ही बनायी है। न ही हम दान-दया के नये आश्वासनों के लिए इंतज़ार कर सकते हैं। उस समय, जब जी-7 के नेता समुद्र तट पर फ़ोटो के लिए पोज़ दे रहे थे, वायरस के नये-नये चिन्ताजनक प्रतिरूपों का बढ़ता हमला जारी था: यूके में आल्फ़ा वैरिएंट, दक्षिण अफ़्रीका में बीटा, ब्राज़ील में गामा और अब भारत में डेल्टा। हर उस पल में, जिसमें वैश्विक स्तर पर सहयोग विलंबित हो रहा है, कई और लोगों पर जान का ख़तरा बन रहा है।
आज की स्थिति में जी-7 राष्ट्रों ने विश्व की कुल वैक्सीन आपूर्ति का एक-तिहाई से अधिक क्रय कर लिया है जबकि वैश्विक आबादी में उनकी हिस्सेदारी केवल 13 प्रतिशत है। इस बीच अफ़्रीका, जिसकी आबादी 134 करोड़ है, अपनी आबादी के मात्र 1.38 प्रतिशत को ही वैक्सीन लगा सका है। परिणाम- प्रगति की वर्तमान दर पर, न्यून-आय राष्ट्रों को अपने हर नागरिक को पूरी तरह से वैक्सीन लगा चुकने के लिए 57 वर्ष तक इंतज़ार करना होगा।
यही कारण है कि प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल वैक्सीन इंटरनेशनलिज़्म के लिए आपात शिखर सम्मेलन में सरकारों के मंत्रियों, राजनीतिक नेताओं और वैक्सीन निर्माताओं को एक नये भूमंडलीय गठबंधन के लिए एक मंच पर ला रहा है।
यह वह पल है जिसमें प्रत्येक प्रयोगशाला, प्रत्येक फ़ैक्ट्री, प्रत्येक वैज्ञानिक और प्रत्येक स्वास्थ्यकर्मी को हर किसी के लिए हर स्थान पर, वैक्सीन के उत्पादन और आपूर्ति के लिए सशक्त किया जाना चाहिए। इसके बजाय उच्च और मध्य आय राष्ट्रों ने विश्व की वैक्सीन आपूर्ति का 85 प्रतिशत से अधिक इस्तेमाल कर लिया है। बहुतों ने वैक्सीन पर पेटेंट एकाधिकार को समाप्त करने की दिशा में कुछ भी नहीं किया है। उनमें से किसी ने भी वैक्सीन टेक्नॉलाजी को दुनिया को हस्तांतरित करने के लिए कोई काम नहीं किया है।
आज, जबकि दुनिया का अधिकांश हिस्सा बिल्कुल भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पाने की समस्या से जूझ रहा है, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य धनी देश इस स्थिति में हैं कि जल्दी ही उनके पास वैक्सीन का भारी अतिरेक हो जाएगा।
यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि अब इस पैंडेमिक का अंत जानबूझ कर विलंबित किया जा रहा है। इसका अंत किया जा सकता है- पब्लिक सिटिज़ेन के अनुसार हम एक साल में पर्याप्त वैक्सीन बना सकते हैं- मगर टेक्नॉलजी साझा करने और वैक्सीन उत्पादन में सहयोग करने के बजाय, शक्तिशाली फ़ार्मा कम्पनियाँ इसे विलंबित करने का विकल्प चुन रही हैं। बूस्टर शॉट्स के सम्भावित बाज़ार के सम्बंध में IQVIA रिपोर्ट खुलासा करती है: 2025 तक कोविड-19 वैक्सीन के लिए पूरी दुनिया के पैमाने पर 157 बिलियन डॉलर खर्च किये जाने का आकलन है। सरकारें पहले ही सार्वजनिक धन की असाधारण रूप से भारी धनराशि निजी जेबों में हस्तांतरित कर चुकी हैं, जिससे नौ नए अरबपति बन चुके हैं – वे फ़ार्मा एक्ज़ीक्यूटिव जिन्होंने कोविड-19 वैक्सीनों पर एकाधिकार के चलते भारी मुनाफ़ा कमाया है। उनकी सम्पदा का योग न्यून-आय देशों के लगभग 78 करोड़ लोगों को वैक्सीन के पूरे डोज़ लगाने के लिए पर्याप्त है।
यह सब और नहीं चल सकता है। अब, वैश्विक दक्षिण के प्रतिनिधिमंडल वैक्सीन अन्तर्राष्ट्रीयतावाद के मॉडलों के प्रदर्शन के लिए साथ आ रहे हैं- क्यूबा, बोलिविया, अर्जेंटीना, केन्या, केरल…, और भी। उनके आह्वान से जुड़ने के लिए वैश्विक उत्तर से यूके, कनाडा, न्यूज़ीलैंड के सहयोगी अपनी सरकारों को बड़े फ़ार्मा के साथ अपनी स्वामिभक्ति का अंत करने और वैश्विक स्वास्थ्य संस्थाओं पर अपना वर्चस्व समाप्त करने की चुनौती देने के लिए तैयार खड़े हैं। विरचोव (Virchow), बीयोलसे (Biolyse), और फ़ीयोक्रुज (Fiocruz) जैसे वैक्सीन निर्माताओं के साथ, जो अपने हिस्से की भूमिका अदा करने को सहमत हैं – इस गठबंधन का सीधा-स्पष्ट उद्देश्य है: सभी के लिए वैक्सीनों का उत्पादन, वितरण और आपूर्ति।
इस शिखर सम्मेलन के साथ प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल इस बात से भी आगाह कर रहा है: हमारा जीवन और आज़ादी ख़तरे में है और दक्षिण की संप्रभुता दांव पर लगी है। ऐसे में ये प्रगतिशील ताक़तें एक नयी तरह की राजनीति का मंच तैयार करने के लिए एकजुट हो रही हैं- जहां एकजुटता एक नारे से कहीं ज़्यादा होगी।
हम वैक्सीन इंटरनेशनलिज़्म के लिए एक भूमंडलीय गठबंधन का आयोजन कर रहे है। हमारा साथ दीजिए।
जनपथ प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल की वायर सेवा का सदस्य है। यह लेख प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल द्वारा सम्मेलन की पूर्व संध्या पर जारी किया गया है। लेखकद्वय वैक्सीन इंटरनेशनलिज़्म पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक हैं।