कोविड –19 महामारी की वजह से उजागर हुई कमियों के मद्देनजर राज्य सरकार को तत्काल नीतिगत उपायों के जरिये स्वास्थ्य के क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश में बढ़ोत्तरी करते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे मजबूत करने और पर्याप्त मात्रा में संबंधित मानव संसाधनों को तेजी से जुटाने की जरूरत है। सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं की दरों, इलाज की गुणवत्ता, उपचार प्रणाली और निजी स्वास्थ्य सेवाओं के व्यापक विनियमन पर भी ध्यान देने की जरूरत है। सरकार को कोविड-19 के उपचार के लिए आवश्यक दवाओं, डायग्नोस्टिक्स, पीपीई किट्स आदि के स्थानीय निर्माण व उत्पादन को बढ़ाने और सभी दवाओं एवं चिकित्सा उपकरणों पर जीएसटी को हटाने के बारे में तत्काल प्रभाव से कदम उठाना चाहिए। ये मांगें जन स्वास्थ्य अभियान (JSA) की ओर से राज्य सरकार से की गई हैं।
जन स्वास्थ्य अभियान (JSA), जो कि स्वास्थ्य अधिकारों के लिए काम करने वाले नागरिक संगठनों और जन संगठनों का एक राष्ट्रीय नेटवर्क है, ने अपनी मांगों को बेहद जरूरी बताते हुए कहा है कि स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल एक बुनियादी मानवाधिकार हैं और इनपर सभी सरकारों, चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य की सरकारें, को सर्वोच्च प्राथमिकता देना चाहिए।
जन स्वास्थ्य अभियान, उत्तर प्रदेश से जुड़े संजीव सिन्हा, डॉ. सी. एस. वर्मा एवं सुनीता सिंह ने एक संयुक्त बयान में कहा कि आज देशभर में लोग कोविड-19 की तबाही से जूझ रहे हैं, जिसमें कुल 37 लाख से अधिक सक्रिय मामले हैं और अब तक आधिकारिक रूप से 2.4 लाख से अधिक मौतें दर्ज की गई हैं। ऐसी परिस्थिति में राज्य के समक्ष स्वास्थ्य सेवा से जुड़े डॉक्टर, नर्स समेत पेशेवर कर्मियों की कमी, स्वास्थ्य सेवा की बढ़ती लागत, कुकुरमुत्ते की तरह फैलते निजी अस्पताल और हरेक स्तर पर प्लानिंग की कमी जैसी कई चुनौतियां हैं। भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों (IPHS) के मानदंडों के अनुसार राज्य में ग्रामीण आबादी का एक-तिहाई प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है। उत्तर प्रदेश को अपनी आबादी की स्वास्थ्य संबंधी मांगों को पूरा करने के लिए 31,037 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों, 5,172 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और 1,293 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की जरूरत है। इसके विपरीत, राज्य में 20521 स्वास्थ्य उपकेन्द्र, 3497 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और 773 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं। दूसरे शब्दों में, आरएचएस-2015 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में स्वास्थ्य उपकेन्द्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की 33 प्रतिशत कमी और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की 40 प्रतिशत कमी है।
जन स्वास्थ्य अभियान (JSA), ने राज्य सरकार से निम्नलिखित दायित्वों को तत्काल पूरा करने की मांग है:
1. सभी रोगियों के लिए हर हाल में मुफ्त उपचार और परिवहन सुविधा की व्यवस्था: सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोविड के गंभीर/सामान्य लक्षण वाले सभी मरीज़ों को सार्वजनिक अस्पताल में मुफ्त उपचार मिले। सार्वजनिक अस्पताल द्वारा आवश्यक उपचार में सक्षम नहीं होने की स्थिति में, मरीज को निजी अस्पताल में स्थानांतरित किया जाये और मुफ्त या कम से कम रेट पर इलाज सुनिश्चित हो। एम्बुलेंस सेवाओं का तेजी से विस्तार और उचित समन्वयन इस प्रकार हो कि निजी और सार्वजनिक दोनों अस्पतालों में रोगियों को मुफ्त/सस्ती दर पर परिवहन सुविधा तुरंत मिल सके। गंभीर लक्षणों वाले मरीज़ को आरटी-पीसीआर रिपोर्ट की अनिवार्यता के बिना कोविड -19 रोगियों के रूप में भर्ती किया जाये।
2. ऑक्सीजन और अन्य सुविधाओं से युक्त बिस्तरों की संख्या में बढ़ोतरी और गंभीर मरीजों के लिए उन बिस्तरों को उपलब्ध कराया जाना: सरकार को सार्वजनिक अस्पतालों में गंभीर कोविड देखभाल के लिए आवश्यक रूप से मानव संसाधन और आवश्यक उपकरण, दवाओं मौजूदा क्षमता को बढ़ाने के साथ–साथ अतिरिक्त संख्या में ऑक्सीजन बेड उपलब्ध कराना चाहिए। आपातकालीन कदम के रूप में बड़े कॉर्पोरेट निजी अस्पतालों में उपलब्ध बेड को राज्य सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अधिग्रहित किया जाना चाहिए।
3. मेडिकल ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना: सरकारी एवं निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को मेडिकल ऑक्सीजन की निरंतर और निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित किया जाना चाहिए। गैर-संस्थागत खरीद और ऑक्सीजन सिलेंडर की रिफीलिंग के लिए आउटलेट सुनिश्चित करना, ऑक्सीजन सिलेंडर का मूल्य निर्धारण और उनकी रिफिलिंग को विनियमित करने की तत्काल आवश्यकता है।
4. गुणवत्तापूर्ण कोविड जांच सुविधा प्रदान करना: सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी रोगियों को अपने घर या घर के पास जांच सुविधा उपलब्ध हो और 24 घंटे में रिपोर्ट भी मिल सके।
5. निजी क्षेत्र के शोषण और गैर-जरूरी इलाज से बचाना:
अ) सरकार द्वारा निजी अस्पतालों में जांच या उपचार कराने वालों मरीजों के लिए शुल्क निर्धारित करना और सक्षम संस्थाओं द्वारा नियमित रूप से वित्तीय ऑडिट व निगरानी किया जाना चाहिए। यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सार्वजनिक धन से संचालित स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के तहत जिन अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है, वे इन योजनाओं के तहत पात्र लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान करें।
ब) सरकार को निजी और सार्वजनिक अस्पतालों द्वारा गैर-जरूरी विभिन्न दवाओं के उपयोग, जिनकी कोई भूमिका नहीं है या रेमेडीसविर, टोसीलिज़ुमाब आदि की सीमित भूमिका है (केवल कुछ ही कोविड के रोगियों के इलाज में) को नियंत्रित करना चाहिए।
6. नागरिक संगठनों और सामुदायिक समूहों के साथ समन्वित प्रयासों की आवश्यकता: यह जरूरी है कि सरकार ब्लॉक, जिला और शहर के स्तर पर मौजूदा भागीदारी समितियों का गठन करके नागरिक संगठनों और सामुदायिक समूहों के साथ समन्वित प्रयास करे। इसके लिए राज्यस्तरीय सार्वजनिक और सामुदायिक स्वास्थ्य टास्क फोर्स का तुरंत गठन किया जाए।
संजीव सिन्हा
राष्ट्रीय सह-संयोजक
जन स्वास्थ्य अभियान
(प्रेस विज्ञप्ति)