पत्रकार उत्पीड़न पर उत्तराखंड निर्वाचन आयोग सहित प्रेस परिषद और एडिटर्स गिल्ड को पत्र


हल्द्वानी। न्यूज वेबसाइट जनज्वार के संपादक अजय प्रकाश को चुनावी कवरेज के लिए जाने के दौरान एआरटीओ द्वारा उनकी टैक्सी गाड़ी अधिग्रहित किये जाने के दौरान की गई अभ्रदता व मुकदमा दर्ज किये जाने के खिलाफ 9 फरवरी को दर्जनों पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता एकत्रित हुए।

प्रेस वार्ता के दौरान मुनीष कुमार ने कहा कि एआरटीओ की गुंडागर्दी के खिलाफ चुनाव आयोग को शिकायत की गई है। एआरटीओ द्वारा सड़क पर गाड़ियां जबरन रोककर चालकों के साथ बदतमीजी की जा रही है। आचार संहिता की आड़ में प्रशासन गुंडई पर उतारू है। कुमार ने एआरटीओ व थानाध्यक्ष की निलंबित कर पीड़ित पत्रकार के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने व प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।

सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट रविन्द्र गढ़िया ने इसे मीडिया पर हमला बताते हुए कहा कि अधिग्रहण के लिए कानूनन गाड़ी मालिक को लिखित में नोटिस दिया जाने चाहिए। इस प्रकार की कार्यवाही सरकारी काम की आड़ में गुंडागर्दी है। इसका विरोध करने पर मुकदमा लगाया है रहा है। इस मामले में भी आठ घण्टे तक पत्रकार को बिना किसी एफआईआर के थाने में अवैध हिरासत में रखा गया।

अजय प्रकाश ने उत्तराखंड सरकार से मांग की है कि एआरटीओ विपिन कुमार सिंह के खिलाफ पत्रकार की कवरेज को बाधित करने के लिए इस्तेमाल की जा रही टैक्सी को सीज करने व थानाध्यक्ष राजेश पांडे के साथ मिलकर दिन भर थाने में बैठाए रखकर, चुनावी कवरेज से रोकने व प्रताड़ित किए जाने के लिए उन्हें तुरंत निलंबित कर, उनके खिलाफ विभागीय जांच कर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए, पुलभट्टा थाना जिला ऊधमसिंहनगर (उत्तराखंड) में दर्ज फर्जी एफ.आई.आर सं. 0024/2022 को अबिलम्ब वापस लिया जाए, उचित निर्देश जारी कर सुनिश्चित किया जाए कि पत्रकार द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे वाहनों व किसी भी सवारी या नागरिक को गन्तव्य तक पहुंचाने के दौरान किसी भी यात्री के आवागमन में किसी भी अधिकारी द्वारा कोई रुकावट न डाली जाए, यह सुनिश्चित किया जाए प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता बिना किसी बाधा के पूरी की जा सके।

राज्य निर्वाचन आयोग सहित संबंधित संस्थाओं को भेजे गए पत्र की प्रति नीचे दी जा रही है।

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सेवा में,
चुनाव आयुक्त
राज्य निर्वाचन आयोग
उत्तराखंड

विषय- पत्रकार को चुनावी कवरेज से रोककर प्रताड़ित किए जाने के सम्बन्ध में।

महोदय,

मैं, अजय प्रकाश, दिल्ली एनसीआर का निवासी हूं तथा न्यूज वेबसाइट जनज्वार का संपादक हूं। दिनांक 07-02-2022 को मैं उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की कवरेज के लिए शताब्दी एक्सप्रेस से दिन में लगभग 10.30 बजे रुद्रपुर पहुंचा था।

रुद्रपुर पहुंचने के बाद मैंने अपने तीन दिवसीय चुनावी कवरेज के लिए भ्रमण हेतु एक टैक्सी स्विफ्ट डिजायर (संख्‍या यूके06 टीए 5271) को किराये पर लेकर सर्वप्रथम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विधानसभा क्षेत्र खटीमा की चुनावी कवरेज के लिए अपने सहयोगी अंकित गोयल के साथ प्रस्थान किया। टैक्सी को चालक विनोद कुमार गंगवार चला रहे थे।

दिन में एक बजे पुलभट्टा थाना क्षेत्र के अंतर्गत रिलायंस पेट्रोल पंप के पास पहुंचने पर अचानक एआरटीओ विपिन कुमार सिंह ने हमारी टैक्सी को रोक लिया तथा कागज चेक कराने के लिए कहा। कागज देखने के बाद एआरटीओ विपिन कुमार सिंह ने कागज जब्त कर लिए और कहा कि गाड़ी विधानसभा चुनाव के लिए अधिग्रहित की जा रही है। इतना ही नहीं, एआरटीओ महोदय ने मां-बहन की गाली-गलौज करते हुए चालक को जेल में डालने की धमकी देते हुए मुझे तथा मेरे सहयोगी अंकित गोयल को जबरन गाड़ी से उतारकर कहा कि अब आप लोग जा सकते हैं। ये गाड़ी चुनाव ड्यूटी के लिए अधिग्रहित कर ली गयी है।

मेरे द्वारा निवेदन करने पर कि मैं उत्तराखंड में तीन दिन के सीमित समय के लिए चुनावी कवरेज के लिए आया हूं तथा खटीमा, सितारगंज, रुद्रपुर, लालकुआं, हल्द्वानी, कालाढूंगी रामनगर व सल्ट आदि विधानसभा क्षेत्र में चुनावी कवरेज का मेरा व्यस्त कार्यक्रम है। हमारी गाड़ी यहां पर अचानक इस तरह से राह चलते जब्त करने से हमारा पूरा चुनावी कवरेज का काम ही खराब हो जाएगा, अतः इस गाड़ी को आप तीन दिनों बाद अधिग्रहित कर लें। इस दौरान मैंने उन्हें अपना परिचय पत्र भी दिखाया। इसके बावजूद एआरटीओ महोदय विपिन कुमार सिंह ने मेरे साथ गाली-गलौज करते हुए मौके पर थानाध्यक्ष राजेश पांडे व अन्य पुलिसकर्मियों को बुला लिया।

एआरटीओ विपिन कुमार सिंह ने थानाध्यक्ष राजेश पांडे के साथ मिलकर हम तीनों का मोबाइल फोन छीन लिया। इसके बाद उन्होंने जबरन मुझे, मेरे सहयोगी अंकित गोयल व टैक्सी चालक विनोद कुमार को बलपूर्वक पुलिस जीप में डालककर पुलभट्टा थाना ले गये। वहां पर हम तीनों को एक कमरे में लगभग नौ घंटे के लिए बंद कर दिया गया।

इस दौरान शाम को 6 बजे तक एआरटीओ महोदय विपिन कुमार सिंह अपनी ड्यूटी छोड़कर पुलभट्टा थाने में ही बैठे रहे। वहां पर थानाध्यक्ष राजेश पांडे ने हमारी बात सुनने से ही इंकार कर दिया तथा हमारे साथ दुर्व्‍यवहार भी किया। एआरटीओ के जाने के बाद बड़ी मिन्नतों से सायं लगभग 6 बजे हमें फोन वापस दिये गये। रात्रि में हमें बताया गया कि तुम्हारे खिलाफ भादसं की दफा 186, 188, 269, 270, 353 व आपदा प्रबंधन एक्ट की धारा 56 में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मेरा नाम पता व पत्रकार का पेशा जानने के बावजूद एफआइआर में जानबूझकर मेरा तथा मेरे सहयोगी अंकित गोयल का पता गलत दर्ज किया गया और रात्रि लगभग 10 बजे हमें दफा 41 का नोटिस देकर छोड़ दिया गया। रात्रि में जैसे-जैसे हमने रुद्रपुर पहुंचकर अपने एक परिचित के घर पर शरण ली।

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महोदय, एआरटीओ विपिन सिंह व पुलभट्टा के थानाध्यक्ष राजेश पांडे ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ पत्रकारिता पर हमला किया है तथा निष्पक्ष पत्रकारिता को बाधित किया है। राह चलते किसी पत्रकार या व्यक्ति को उसके गन्तव्य तक जाने से रोकना न केवल गैरकानूनी है बल्कि देश के नागरिकों के संविधान प्रदत्त अधिकारों का भी उल्लंघन है।

अतः मेरी आपसे मांग है कि-

1- एआरटीओ विपिन कुमार सिंह के खिलाफ पत्रकार की कवरेज को बाधित करने के लिए इस्तेमाल की जा रही टैक्सी को सीज करने व थानाध्यक्ष राजेश पांडे के साथ मिलकर दिन भर थाने में बैठाए रखकर, चुनावी कवरेज से रोकने व प्रताड़ित किए जाने के लिए उन्हें तुरंत निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच कर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए।

2- पुलभट्टा थाना जिला ऊधमसिंहनगर (उत्तराखंड) में दर्ज फर्जी एफआइआर संख्‍या 0024/2022 को अबिलम्ब वापस लिया जाए।

3- उचित निर्देश जारी कर सुनिश्चित किया जाए कि पत्रकार द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे वाहनों व किसी भी सवारी या नागरिक को गन्तव्य तक पहुंचाने के दौरान किसी भी यात्री के आवागमन में किसी भी अधिकारी द्वारा कोई रुकावट न डाली जाए।

4- यह सुनिश्चित किया जाए प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता बिना किसी बाधा के पूरी की जा सके।

दिनांक- 09-02-2022

निवेदक
अजय प्रकाश
सम्पादक (www.janjwar.com)
168/5 वसुंधरा सेक्टर 16-बी, गाजियाबाद (उ.प्र.) 201012

प्रतिलिपि-

1- परिवहन सचिव, उत्तराखंड

2- पुलिस महानिदेशक, उत्तराखंड

3- पुलिस उपमहानिरीक्षक, कुमाऊं

4- प्रेस काउंसिल आफ इंडिया

5- एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया


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