दिल्ली हाई कोर्ट ने एम्स की नर्सों की हड़ताल पर रोक लगा दी है. अदालत ने एम्स नर्सिंग यूनियन से काम पर लौटने को कहा है. एम्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नवीन चावला द्वारा ये आदेश दिया गया है. अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी.
दरअसल दिल्ली स्थित देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एम्स के नर्स यूनियन अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये थे. एम्स की नर्सिंग यूनियन ने कहा है कि उनकी कई मांगें हैं, जिन्हें सरकार और एम्स प्रशासन नहीं मान रहे हैं. ऐसे में उनके पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है.
इससे पहले एम्स नर्स यूनियन के कहा कि एम्स हमसे बात करने के बजाय हाई कोर्ट गया है, हमने वही रास्ता अपनाया है जो सही था. यूनियन ने कहा कि अदालत में यूनियन की ओर से कोई नहीं जा पाया क्योंकि हमें इस बारे में सही जानकारी समय पर नहीं मिल पायी है.
इधर एम्स प्रशासन ने प्रदर्शनकारी नर्सों को आज शाम 5 बजे बैठक के लिए आमंत्रित किया है.
इससे पहले आज सुबह एम्स नर्स यूनियन के आह्वान पर नर्सिंग स्टाफ ने एम्स कैम्पस में प्रदर्शन करते हुए प्रशासनिक भवन तक जाने के रस्ते में लगाये गये बैरिकेड्स तोड़ दिए जहां उन पर बल सुरक्षा कर्मियों द्वारा बल प्रयोग हुआ और कई नर्स जख्मी हो गये.
एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट डॉ मंजीत सिंह भट्टी ने एक ट्वीट में लिखा- कोविड संकट के इस काल में एम्स के नर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये, अब मोदी नर्स की यूनिफार्म पहनकर एम्स में जायेंगे क्यों हर समस्या उनके लिए फेंसी ड्रेस प्रतियोगिता है.
इस बीच एम्स के नर्सों की मांग और हड़ताल को कई मेडिकल संगठनों से समर्थन मिला है.
बीते दो दिनों से कारण एम्स में भर्ती मरीजों और बाहर इंतजार करते उनके परिजनों को बड़ी दिक्कत हो रही है.
हड़ताल के मद्देजनर AIIMS प्रशासन ने एक अहम फैसला लिया है. हड़ताल जारी रहने तक बाहर से नर्सों का इंतजाम करने का निर्णय लिया गया है. करीब 170 नर्सों को बाहर से आउटसोर्स किया जाएगा. कॉन्ट्रैक्ट पर नार्सिंग स्टाफ की भर्ती करने के लिए एम्स की ओर से विज्ञापन भी दिया गया था.