ये नाटो-नाटो क्या है! विश्व शांति के हक में और यूक्रेन युद्ध के खिलाफ AIPSO का प्रदर्शन

मालवा मिल पर प्रदर्शन को देखकर कुछ विजिलेंस वाले भी पहुंचे। उन्होंने नाटो-नाटो लिखे नारे को देखा और पूछने लगे कि यह नाटो-नाटो क्या है, हम तो यह सोचकर आए थे कि नोटा को लेकर कोई प्रदर्शन हो रहा है। जब शांति संगठन के सदस्य विजय दलाल ने उन्हें बताया कि किस तरह से नाटो का भंग होना विश्व शांति के लिए ज़रूरी है तो उन्होंने राहत की साँस ली और लौट गए।

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रूस-यूक्रेन युद्ध और इसमें अमेरिका-नाटो के हस्तक्षेप का विरोध क्यों किया जाना चाहिए

पूर्वी यूरोप के देश नाटो के साथ गोलबंद हो रहे हैं, लेकिन वहां की जनता में ‘महान रूस’ की अवधारणा जगह बना रही है। पूर्वी यूरोप में यह तनाव उसे गृहयुद्ध की तरफ ले जाएगा, जैसा कि यूक्रेन में हो चुका है। इन गृहयुद्धों का प्रयोग आमतौर पर साम्राज्यवादी खेमे के किसी एक देश के कब्जे में ही बदलता है। ये देश रूस या अमेरि‍का का निवाला बन जाएंगे और जनता गुलामी के भंवर में फंस जाएगी।

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रूस और यूक्रेन के बीच विवाद: आशंकाएं और संभावनाएं

सोवियत संघ से अलग हुए इन देशों के अपने आन्तरिक कारणों के कारण रूस के संबंध निरंतर बिगड़ने लगे थे जबकि इनमें रूस की कोई भूमिका नहीं थी। सोवियत संघ के समय वहां संघीय ढांचा था जिसमें सभी राष्ट्रीयताओं की अलग भाषा, संस्कृति होने के बावजूद उन्हें स्वायत्तता मिली हुई थी।

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