राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के मामले में एक दर्जन से अधिक लोगों को नोटिस भेजे हैं, जिनमें एक पत्रकार और कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से जुड़े किसान नेता और अन्य शामिल हैं.
एनआइए ने जिन लोगों को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है उनमें बलतेज पन्नू (पटियाला), जसवीर सिंह (श्री मुक्तसर साहिब), मनदीप सिंह सिद्धू (दीप सिद्धू के भाई), परमजीत सिंह अकाली (अमृतसर), नोबलजीत सिंह (होशियारपुर), जंग सिंह (लुधियाना), प्रदीप सिंह (लुधियाना), सुरिंदर सिंह ठिक्रीवाला (बरनाला), पलविंदर सिंह (अमरकोट), न्यायाधीश इंद्रपाल सिंह (लुधियाना), रणजीत सिंह दमदमी मिंट (अमृतसर) और करनैल सिंह दसूहा (होशियारपुर) के नाम शामिल हैं.
ख़बरों के अनुसार, इन सभी को देश में आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग (घन उपलब्ध) करने के एक मामले में गवाही के लिए बुलाया गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 12 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनआइए, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), इनकम टैक्स विभाग, सीबीआई और एफसीआरए अधिकारियों की बैठक बुलाई थी जिसके बाद यह नोटिस जारी किये गये हैं.
एनआइए के समन के अनुसार, बलदेव सिंह सिरसा को 17 जनवरी को पूछताछ के लिए एजेंसी के सामने पेश होना है. सिंह के अलावा सुरेंद्र सिंह, पलविंदर सिंह, प्रदीप सिंह, नोबेलजीत सिंह और करनैल सिंह को भी 17 और 18 जनवरी को एजेंसी के सामने पेश होने को कहा गया है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन की सुनवाई के दौरान सरकार ने अदालत से कहा था कि इस आंदोलन में खालिस्तानी घुस आये हैं. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अदालत में सबूत पेश करने के लिए कहा था सरकार को.
एनआईए ने आरोप लगाया है कि एक गैर-कानूनी संगठन एसएफजे और अन्य खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों ने भय और अराजकता का माहौल बनाने के लिए एक साजिश रची है. आरोप लगाया गया है कि ऐसे अलगाववादी संगठनों ने सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए लोगों को उकसाने का काम किया है.
प्राथमिकी में यह भी कहा गया है कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और अन्य देशों में जमीनी स्तर पर अभियान तेज करने और प्रचार के लिए भारी मात्रा में धन भी एकत्र किया जा रहा है.
इन अभियानों को नामित खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू, परमजीत सिंह पम्मा, हरदीप सिंह निज्जर और अन्य द्वारा चलाया जा रहा है.
एनआईए की प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया गया कि इस साजिश में शामिल एसएफजे और अन्य खालिस्तानी समर्थक तत्व लगातार सोशल मीडिया अभियान और अन्य माध्यमों से भारत में अलगाववाद के बीज बोना चाहते हैं. यह नेता भारत के टुकड़े करना चाहते हैं और खालिस्तान के नाम से अलग राष्ट्र के निर्माण का मंसूबा रखे हुए हैं. यही नहीं, ये समूह आतंकवादी कार्रवाई करने के लिए युवाओं को उग्र और कट्टरपंथी बना रहे हैं और उनकी भर्ती भी कर रहे हैं.
बता दें कि, शुक्रवार को भारत सरकार और किसानों की बीच हुई बैठक में एलबीआईडब्ल्यूएस के प्रतिनिधि के तौर पर पूरन सिंह ने हिस्सा लिया था. सिरसा ने किसानों के प्रदर्शन को डिरेल करने की कोशिश का सरकार पर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि “पहले सरकार ने किसानों के प्रदर्शन को सुप्रीम कोर्ट के जरिये डिरेल करने की कोशिश की और अब उसने एनआईए को आगे कर दिया है.”