नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (एनएफआईआर) के महासचिव डॉ. एम राघवैया ने बुधवार को सरकार को कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि जिस दिन निजी कंपनियों की पहली ट्रेन रेल लाइन पर दौड़ेगी उसी दिन नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (एनएफआईआर) पूरे देश में एकसाथ रेल का पहिया जाम कर देगा.
आज जबलपुर में पत्रकार वार्ता में रेलवे के निजीकरण के सवाल के जवाब में एनएफआईआर के महासचिव डॉ. एम राघवैया ने कहा –
केन्द्र सरकार अपने पूंजीपतियों मित्रों व नीति आयोग की सलाह पर लगातार लाभ में चल रहे रेलवे का निजीकरण, निगमीकरण करने पर आमादा है, लेकिन नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवे मैन (एनआईआईआर) इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं करेगी, वह लगातार केंद्र सरकार, रेल मंत्रालय को विभिन्न मंचों व डायरेक्ट निजीकरण के दुष्परिणामों से अवगत करा रही है, लेकिन सरकार के कान में जूं नहीं रेंग रही है, किंतु एनएफआईआर किसी भी हाल में ऐसा होने नहीं देंगे, जिस दिन रेल लाइन पर निजी कंपनियों की ट्रेन दौड़ेगी, उसी दिन हम पूरे देश में एक साथ रेल का पहिया जाम कर देंगे.
डॉ. राघवैया ने कहा –
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी बात से किस तरह से पलटी मारते हैं, इसका उदाहरण पिछले साल वाराणसी में दिया गया उनका बयान है, जहां पर डीएलडबलू की प्रशंसा करते हुए किफायती दरों पर लोकोमोटिव का निर्माण किया था, इस दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि वे कभी भी रेलवे का निजीकरण नहीं होने देंगे, लेकिन कुछ माह बाद ही वे रेलवे के निजीकरण व निगमीकरण को बढ़ावा देने में जुट गये. रेलवे की उत्पादन इकाइयों के साथ-साथ 109 प्रमुख रेल मार्गों पर 150 निजी ट्रेनों को चलाने का ऐलान किया गया है, इसे हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे.
इस प्रेस वार्ता में डॉ. एम राघवैया के साथ डबलूसीआरएमएस के अध्यक्ष डॉ. आरपी भटनागर भी उपस्थित थे. भटनागर ने कहा –
सरकार को न्यू पेंशन स्कीम हटाकर, गारंटेड ओल्ड पेंशन स्कीम देना होगा. उन्होंने कहा कि जब पूरे कार्यकाल के दौरान रेल कर्मचारी लगातार रेलवे को तरक्की की राह में ले जाने के लिए अपना पूरा जीवन खपाता रहा है, तब रिटायर के दौरान उसके वृद्धावस्था में उसे गारंटेड पेंशन का सहारा जरूरी है. सरकार से लगातार फेडरेशन इसकी मांग करती आ रही है और अब आर-पार के आंदोलन की तैयारी की जा रही है.
कोरोना से 370 रेलकर्मचारियों की मौत
डॉ. राघवैया ने कहा कि कोरोना काल में लगातार देश की जीवन रेखा रेलवे को चलायमान रखने के लिए रेल कर्मचारियों ने जी तोड़ मेहनत की, इस दौरान देश में 370 से अधिक रेल कर्मचारी इस संक्रमण से मृत हुए, किंतु सरकार ने असंवेदनशीलता दिखाते हुए कर्मचारियों का भत्ता, टीए, डीए पर रोक लगा दी है, जो काफी दुखदायी है. इन कर्मचारियों को कंपनसेशन दिये जाने की मांग लगातार फेडरेशन रेल मंत्री से करती आ रही है.
हर साल 8 हजार से ज्यादा कर्मचारी होते हैं ऑन ड्यूटी शहीद
एनएफआईआर व डबलूसीआरएमएस के नेताओं ने रेल कर्मचारियों की शहादत का जिक्र करते हुए कहा कि कारगिल युद्ध में सेना के लगभग 2 हजार जवान शहीद हुए थे, किंतु रेलवे में पूरे साल ड्यूटी के दौरान 8 हजार से अधिक कर्मचारी शहीद होते हैं. फेडरेशन केंद्र व रेल मंत्रालय से इन रेल कर्मचारियों को भी शहीद का दर्जा दिये जाने की मांग करती है. पत्रकार वार्ता में मजदूर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष व मीडिया प्रभारी अमित भटनागर, महामंत्री अशोक शर्मा, सतीश कुमार आदि मौजूद थे.
(साभार: देशगाँव)