आंदोलनकारी किसानों और सरकार के बीच बनी सहमति


जगजीत सिंह डल्लेवाल के 54 दिन के आमरण अनशन के बाद केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर बीते कल खनौरी मोर्चा के किसान नेता मानने के लिए सहमत हो गए हैं । केंद्र सरकार के दुबारा वार्ता शुरू करने की पहल के पत्र को स्वीकार करते हुए जगजीत सिंह डल्लेवाल मेडिकल सहायता लेने को राजी हो गए हैं। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रियरंजन बातचीत का न्योता ले कर खनौरी बार्डर पर पहुंचे थे। किसान नेताओं से लम्बी बैठक में कई बिन्दुओं में सहमति बनाने के बाद सरकार और किसानों के बीच अगली बैठक 14 फरवरी को चंडीगढ़ में किये जाने के निर्धारित होने के बाद इसका औपचारिक ऐलान कल रात को किया गया।



शम्भू और खनौरी बार्डर पर किसान पिछले13 फरवरी से बैठे हुए थे जिनको दिल्ली कूच करने के लिए हरियाणा सरकार ने रोक दिया था। किसान एमएसपी को सुनिश्चित करने लिए कानून बनाने की मांग के साथ अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। सरकार ने 4 दौर की वार्ता पहले किसान के दोनों मोर्चा संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक ) डल्लेवाल गुट और किसान मजदूर मोर्चा पंधेर गुट से की थी लेकिन लोकसभा के चुनाव से पहले वार्ता रोक दी गई थी। सरकार से वार्ता को फिर से शुरू करने के किसान संगठन के अनुरोध की उपेक्षा के बाद 26 नवंबर 2024 को जगजीत सिंह डल्लेवाल ने आमरण अनशन शुरू कर दिया था। तीन दिन पहले पंजाब के 111 किसान भी जगजीत सिंह दल्लेवल के समर्थन में आमरण अनशन पर बैठ गए थे जिसमे 10 किसान हरियाणा से बाद में शामिल हो गए थे। शम्भू बार्डर से किसान मजदूर मोर्चा के नेता स्वर्ण सिंह पंधेर ने नए कार्यक्रम के तहत फिर से दिल्ली कूच का एलान कर दिया था।

सर्वोच्च न्यायालय ने भी जगजीत सिंह डल्लेवाल के जीवन की रक्षा के लिए पंजाब सरकार को उचित कदम उठाने के निर्देश दिए थे। देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी किसानों से दुबारा बातचीत करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार ही करने पर टालते रहे थे। हाल ही में किसानों के बड़े संगठन राष्ट्रिय संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने बड़ी महापंचायत करके सरकार के उपेक्षा पूर्ण रवैय्ये की आलोचना की तथा जगजीत सिंह डल्लेवाल के जीवन को लेकर चिंता जताते हुए एकता और समर्थन की घोषणा कर दी थी।

जगजीत सिंह डल्लेवाल और स्वर्ण सिंह पंधेर को संबोधित पत्र में केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रियरंजन ने लिखा है कि यह पत्र एस के एम (गैर राजनीतिक) एवं के एम एम के नेताओं से हुयी पिछली संयुक्त बैठक के क्रम में है जो की 15 फरवरी को चंडीगढ़ में हुयी थी. अब किसान संघों की मांग के संबंध में भारत सरकार एवं पंजाब सरकार के मंत्रियों के साथ एक बैठक महात्मा गाँधी इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में सेक्टर 26 चंडीगढ़ में आयोजित की जाएगी। केंद्र के अधिकारीयों ने कहा है की दिल्ली में चुनाव के मद्देनजर अचार संहिता लगी हुयी है और सरकार कोई घोषणा नहीं कर सकती इसलिए ही आगामी बैठक 9 फरवरी के बाद रखी गयी है जिसमे जगजीत सिंह डल्लेवाल की उपस्थिति भी निश्चित होगी।

खनौरी बार्डर पर किसान नेताओं ने एक तरह से इसको अपने प्रयासों की जीत के रूप में प्रस्तुत किया है लेकिन अभी तक अन्य किसान जो आमरण अनशन पर बैठे है उसके बारे में कोई फैसला नहीं किया गया। जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन को लेकर भी कोई स्थिति अभी स्पष्ट नहीं की मेडिकल सहायता के अंतर्गत उनको किस प्रकार की चिकित्सा दी जाएगी और क्या वो अपना अनशन जारी रखेंगे या समाप्त करेंगे। डल्लेवाल की जान की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसके लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भी सरकार से अपनी चिंता व्यक्त की थी।

अन्य किसान संगठन के नेताओं एवं स्वर्ण सिंह पंधेर केएमएम की प्रतिक्रिया इस मामले में अभी पूर्ण रूप से नहीं आई है। शम्भू मोर्चा के किसान संगठन इस फैसले को किस प्रकार स्वीकृति देते हैं ये आज की बैठक के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा। देश के अन्य किसान संगठनों ने सरकार द्वारा नवंबर में कृषि क्षेत्र के लिए लाये गए राष्ट्रिय नीति रूपरेखा मसौदे पर अपनी आपत्ति महापंचायत के मंचों से सार्वजानिक की हैं और उसके लिए एक बड़ा आंदलोन करने की घोषणा की हुयी है। एमएसपी की लीगल गारंटी से बड़ा मुद्दा किसान संगठन नए मसौदे को मानते हैं जिसमें पुराने तीन कृषि कानूनों के कई बिंदुओं को शामिल किया गया है। किसान संगठनों की एकता के प्रयास भी समांतर तौर पर चल रहे हैं। सरकार से फिर से वार्ता के दौर में किन किन संगठनों को शामिल किया जायेगा ये भी अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। क्या किसानों के मुद्दों को केवल एमएसपी तक ही सीमित कर दिया जाएगा या नए मसौदे को लेकर जो आंदोलन की रूपरेखा राष्ट्रीय संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बनाई जा रही है उसे भी फिर से होने वाली वार्ता में शामिल किया जायेगा ये बैठक में ही साफ हो पायेगा।


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