पंचतत्व: भरालू में इतना कुछ भर गया कि उसकी धारा को ही निगल गया!

आप उत्तर भारत के हैं या कभी गुवाहाटी नहीं गये हैं तो आपको इस नदी का नाम भी पता नहीं होगा। गुवाहाटी के भी अधिकतर लोग इसको भूल गये हैं।

Read More

दक्षिणावर्त: जिसकी जितनी लहान, उसकी वैसी ज़बान!

पत्रकारिता और चुनौती- ये दो शब्द एक साथ सुनते ही कुछ हुड़कहुल्लू फासीवाद, मोदी, भगवा आतंक, आपातकाल इत्यादि का जाप करने लगते हैं, जैसे उन्हें दौरा पड़ गया हो। जरूरत उन असली चुनौतियों पर बात करने की है जो न्यूजरूम के अंदर और बाहर, किसी मीडिया कंपनी के कारिंदे के तौर पर या स्वतंत्र पत्रकार होने के नाते, युवा तुर्क और अनुभवी धैर्यवान पत्रकारों को झेलना पड़ता है।

Read More

हर्फ़-ओ-हिकायत: सीता की अनकही व्यथा और शापित अयोध्या का अधूरा प्रायश्चित

यह जानना काफी दिलचस्प होगा कि सीता समूचे रामायण को किस नजरिये से देखती रही होंगी। अयोध्या कांड से लेकर उत्तर कांड तक वह मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का साथ एक धर्मपारायण पत्नी की तरह निभाती हैं। सीता भारत के जनमानस में आदर्श महिला की सबसे बड़ी आइकन हैं, लेकिन समूची रामायण में सीता की दृष्टि से कोई भी विवरण नहीं मिलता है।

Read More

बात बोलेगी: आदिम शिकारियों के कानूनी जंगल में ‘मादा’ जद्दोजहद के दो चेहरे

मूल कथा भले ही एक शेरनी (टी-12) के इर्द-गिर्द बुनी गयी है, लेकिन यह दो मादाओं (स्त्रीलिंग) की बराबर जद्दोजहद भी है जिसमें उन्हें ही खेत होना है। एक महिला के लिए हमारा समाज, हमारी राजनीति, हमारी नौकरशाही ठीक वही रवैया अपनाती है जो एक शेरनी के लिए शिकारी अपनाता है, यह बात बिना किसी उपदेश के इस फिल्म में सतह पर आ जाती है।

Read More

राग दरबारी: उत्तर प्रदेश की राजनीति में मायावती फैक्टर

बीजेपी के लिए परिस्थिति अगर विपरीत हुई और जो जाति या समुदाय भाजपा या सपा से सहज महसूस नहीं कर पा रहा है, अगर उसका छोटा सा तबका भी बसपा की तरफ शिफ्ट कर जाता है तो उत्तर प्रदेश के मुसलमान बीजेपी को हराने वाले उम्मीदवार को वोट देने से नहीं हिचकेंगे क्योंकि वह ऐसा समुदाय है जिसका एकमात्र लक्ष्य हर हाल में भाजपा को हराना होता है!

Read More

पंचतत्व: साल के दस महीने समंदर तक पहुँचने से महरूम हो गयी है सिंधु

सिंधु नदी पाकिस्तान में जाकर समंदर में गिरने से पहले भारत, अफगानिस्तान और चीन से होकर बहती है। इस इलाके में, खासतौर पर पाकिस्तान में सिंधु नदी के पानी पर इतनी बडी आबादी के लिए पेयजल और खेतों की सिंचाई का दबाव इतना है कि साल भर में 10 महीने यह नदी समंदर तक नहीं पहुंच पाती है।

Read More

निरंकुश सत्ता और पुलिस राज की याद दिलाता है 41 साल पहले हुआ माया त्यागी कांड

सिंडिकेट के खिलाफ राजनीतिक जीत और बांग्लादेश की आजादी सुनिश्चित करने के बाद सर्वशक्तिमान हो चुकीं पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने देश को पहली बार राजनीतिक निरंकुशता से परिचित …

Read More

बात बोलेगी: ‘नये भारत’ के नागरिकों के लिए क्यों न एक भयदोहन कोष बनाया जाए!

ज़रूरी तो नहीं कि मंदिर के लिए वसूले गये चंदे से मंदिर से सम्‍बन्धित काम ही हो। जैसे पीएम केयर्स से भी ज़रूरी तो नहीं हुआ कि केवल कोविड संबंधी काम ही हुए। कोष एक, काम अनेक। फिर मंदिर के लिए माहौल बनाये रखना भी ज़रूरी है।

Read More

तन मन जन: महामारी का राजनीतिक अर्थशास्त्र और असमानता का वायरस

जब लॉकडाउन में सभी जगह का उत्पादन बन्द था, पेट्रोल, डीजल की बिक्री भी बाधित थी, दुकानें बन्द थीं, गोदामों में तैयार माल डम्प थे, जीडीपी का ग्राफ नीचे जा रहा था तब इन अरबपतियों की सम्पत्ति दिन दूनी रात चौगुनी कैसे बढ़ रही थी? यह सवाल हर किसी की जिज्ञासा है।

Read More

पंचतत्व: एक ऋषि की प्यास बुझाने जो नदी आयी थी, आज वो खुद प्यासी है

मध्य प्रदेश वाली मंदाकिनी का भाग्य उत्तराखंड वाली मंदाकिनी से जुदा नहीं है. उत्तरकाशी में ऐसे ही हिमालयी मंदाकिनी की पेटी में लोगों ने घर-द्वार, पार्क बना लिए थे. जब मंदाकिनी ने रौद्र रूप दिखाया तो जान-माल की भारी क्षति हुई थी.

Read More