स्मृति शेष: इतिहास का क्राफ्ट और प्रो. बी.पी. साहू का अवदान

उनका मानना था कि आज के समाज की बनावट और उसकी संस्कृतियां जिसमें उसका खान-पान भी शामिल है, उस पूर्ववर्ती समाज के साथ जुड़़ा हुआ होता है और वह हमारे समय तक आता है। यानी प्रागैतिहास इतिहास का जीवंत पन्ना होता है।

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रूस-यूक्रेन युद्ध और इसमें अमेरिका-नाटो के हस्तक्षेप का विरोध क्यों किया जाना चाहिए

पूर्वी यूरोप के देश नाटो के साथ गोलबंद हो रहे हैं, लेकिन वहां की जनता में ‘महान रूस’ की अवधारणा जगह बना रही है। पूर्वी यूरोप में यह तनाव उसे गृहयुद्ध की तरफ ले जाएगा, जैसा कि यूक्रेन में हो चुका है। इन गृहयुद्धों का प्रयोग आमतौर पर साम्राज्यवादी खेमे के किसी एक देश के कब्जे में ही बदलता है। ये देश रूस या अमेरि‍का का निवाला बन जाएंगे और जनता गुलामी के भंवर में फंस जाएगी।

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पंजाब चुनाव: नोटा से भी कम पर सिमट गयी कम्युनिस्ट पार्टियां चर्चा का विषय क्यों नहीं हैं?

उत्तर प्रदेश में बसपा के एक सीट जीतने पर बौद्धिक समाज में जैसी खलबली देखी गयी वैसी कम्युनिस्ट पार्टी के बंगाल में लगातार दो बार हारने के बाद भी नहीं देखी गयी। पंजाब में नोटा से भी कम वोट मिलने पर कम्‍युनिस्‍ट पार्टियों पर कोई चर्चा न होना और भी चौंकाता है।

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