कंगूरे की चमकती ईंटों के दौर में नये-नवेले राम

जिस राम को तुलसीदास जानते थे, वाल्मीकि जानते थे, धीरे-धीरे वे राम नेपथ्य में चले गये। संघ और भाजपा ने अपने लिए एक नये राम का निर्माण किया। वे राम, जो फूलों से कोमल और ब्रज से भी कठोर थे उन्हें धीरे-धीरे केवल कठोर बनाया जाने लगा। राम की भुवनमोहिनी मुस्कान और कोमल काया तस्वीरों के साथ-साथ आम जन के अवचेतन से भी दूर की जाने लगी।

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स्कूली शिक्षा के विशेष संदर्भ में नयी शिक्षा नीति की एक अनुभवजन्य समीक्षा

स्कूली शिक्षा के तमाम प्रावधानों में जो मुझे सबसे बेहतर लगता है वह यह कि अब प्री-स्कूलों के विकास पर जोर दिया जाने वाला है। यह एक बेहतरीन कदम है क्योंकि हमारे सरकारी स्कूलों में आने वाले अधिकांश बच्चे ऐसी पृष्ठभूमि से आते हैं जिनके घर पर या आस-पास के माहौल में पढ़ने का उचित वातावरण नहीं मिल पाता है।

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गांधी की धरती पर सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी और गांधी के विचारों का विस्मरण

जिस समय गांधी के विचारों को जमीन पर सबसे ज्यादा उतारे जाने की जरूरत थी ठीक उसी समय सरकार ने गांधी के विचारों का दिखावा करना भी बंद कर दिया

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नागरिक अधिकारों की प्राप्ति के लिए ज़रूरी है राज्य के साथ सही मुद्दों पर मोलभाव

मोलभाव करने के लिए हमें अपने हितों को समझना पड़ेगा, हमें समझना पड़ेगा कि राष्ट्रवाद, देशभक्ति, ईश्वर, अल्लाह, मंदिर, मस्जिद, सेना आदि के नाम पर हमें बरगलाया जा रहा है।

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