राहत पैकेज बेहद कम, पुरानी चल रही योजनाओं की री-पैकेजिंग, नया पैकेज हो घोषित!
मांगपत्र में स्वास्थ्यकर्मियों, मजदूरों, सफाई कामगारों, किसानों के ज़रूरी मांगें शामिल!
उद्योगपतियों और अमीर भारतीयों पर महामारी टैक्स लागू करने की भी उठाई मांग!
मजदूर-युवा-महिला संगठनों और ट्रेड यूनियनों ने आज लॉकडाउन के संबंध में अपनी बेहद ज़रूरी मांगों को सूचीबद्ध करते हुए देश के प्रधानमंत्री को एक माँगपत्र भेजा। ज्ञात हो कि निरंतर लॉकडाउन के कारण बड़े पैमाने पर कामगारों और आम लोगों की स्थिति बिगड़ रही है। लोगों की इन चिंताओं को उजागर करते हुए ही यह मांगपत्र भेजा गया| संगठनों ने रिलीफ़ पैकेज के भी काफी कम होने पार चिंता ज़ाहिर करते हुए उसे पुरानी चल रही योजनाओं का ही री-पैकेजिंग बताया, और एक नए पैकेज की घोषणा करने की मांग की| ज्ञात हो कि आय, निर्वाह, आश्रय, स्वास्थ्य-सेवा उपकरण आदि से संबंधित समस्याएं लोगों को परेशान कर रही हैं। लॉकडाउन के बाद से कई रिपोर्टें आई हैं, जो बताती हैं कि लाखों कामगार भूखे रहने को मजबूर हैं, क्योंकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। यह विशेष रूप से भयावह है, क्योंकि लॉकडाउन को श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु एक उपाय के रूप में लागू किया गया था। कई रिपोर्टों से यह पता चलता है कि न केवल कामगारों, बल्कि गरीब किसानों, दलितों, आदिवासियों, खानाबदोश लोगों और सामान्य कामकाजी जनता पर भी लॉकडाउन का बुरा प्रभाव पड़ा है और विशेष रूप से बहुत लोगों को भुख-मरी जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।
इसके अलावा ऐसे कई रिपोर्ट हैं जो बताती हैं कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बहुत ही सीमित संख्या में सुरक्षा किट उपलब्ध है, जिसके कारण कई स्वास्थ्य-कर्मी रोगियों के इलाज के दौरान बीमारियों से संक्रमित हो रहे हैं। इसके अलावा, लॉकडाउन के दौरान किसानों, खेतिहर मजदूरों को काम बंद होने की वजह से परेशानी हो रही है। इस कठिन परिस्थिति में जब आम जनता लॉकडाउन के बोझ में दबी है, वहीं देश का अभिजात वर्ग जरूरी सामानों को जमा कर आराम की जिंदगी जी रहा है। संगठनों ने मांग की है कि अमीरों और अभिजात वर्गों पर टैक्स लगाया जाए, ताकि लॉकडाउन के दौरान आम लोगों की दुर्दशा को कम किया जा सके।
संगठनों ने केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न वादों के बावजूद, अब तक कामगार और गरीबों को पर्याप्त भोजन और मजदूरी न मिलने पर अपनी चिंता ज़ाहिर की| साथ ही यह निंदनीय है कि भूख से परेशान लोगों से निपटने के लिए राज्य और जिला प्रशासन पुलिस बल और लाठीचार्ज का उपयोग कर रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, कई राज्यों में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की अंधाधुंध गिरफ्तारी की है, जो आजीविका और मजदूरी से संबंधित कामगारों के वास्तविक मुद्दे को दूर करने में संबंधित सरकारों की अक्षमता को उजागर करते हैं। इसके साथ ही, संगठनों ने मीडिया के एक हिस्से द्वारा इस वैश्विक महामारी को सांप्रदायिक रंग दिया जाने की भी भर्त्सना की और ऐसी गतिविधियों को रोकने की मांग की|
संगठनों ने अपनी मांगों का एक विस्तृत माँगपत्र प्रधानमंत्री को ईमेल के जरिये भेजा है जिनमें पूँजीपतियों और अमीर भर्तियों पर महामारी टैक्स लागू करने, कामगारों को पर्याप्त मात्रा में भोजन, राशन, आश्रय और न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने, देश भर में गिरफ्तार किए गए सभी कामगारों को तुरंत रिहा करने और उन पर लगाए गये सभी आरोप हटाये जाने, खेत एवं मनरेगा मजदूरों सहित देश के सभी मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दिये जाने, सफाई के काम में लगे सभी कामगारों को नियमित करने और महामारी भत्ता दिये जाने, निशक्तों और वृद्ध जनों को राहत सामग्रीमुहैया कराने पर विशेष ध्यान देने, टीबी और अन्य संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए तुरंत उचित कदम उठाए जाने, इत्यादि मांगें शामिल थीं। संगठन यह आशा करते हैं कि जन-हित में उनके इस माँगपत्र को माना जाएगा|
Peoples-Charter-in-the-time-of-Lockdown1. भीम
क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस)
2. दिनेश कुमार
मजदूर एकता केंद्र (डबल्यू.यू.सी.आई.)
3. हरीश गौतम
सफाई कामगार यूनियन (एस.के.यू.)
4. फातिमा चौधरी
संघर्षशील महिला केंद्र (सी.एस.डबल्यू.)
5. रामनाथ सिंह
ब्लाइंड वर्कर्स यूनियन (बी.डबल्यूयू.)
6. आरती कुशवाहा
घरेलू कामगार यूनियन (जी.के.यू.)
7. चिंगलेन खुमुकचम
नॉर्थ-ईस्ट फोरम फॉर इंटरनेशनल सोलीडेरिटी (नेफिस)
8. ललित
आनंद पर्वत डेली हॉकर्स एसोसिएशन (ए.पी.डी.एच.ए.)
9. सचिन सिंह भंडारी
दिल्ली मेट्रो कमिशनर्स एसोसिएशन (डी.एम.सी.ए.)
10. रोहित सिंह
घर बचाओ मोर्चा
11. डॉ. माया जॉन
यूनाइटेड नर्सेज़ ऑफ इंडिया
संपर्क: 9953132396, 9313343753, 9540716048