कृषि कानूनों के खिलाफ और किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस सहित प्रमुख विपक्षी दलों ने संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
बहिष्कार करने वाले कुल 16 राजनीतिक दल हैं: कांग्रेस पार्टी, एनसीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, सीपीआइ, सीपीएम, आरएसपी, पीडीपी, एआइयूडीएफ सहित कई अन्य राजनीतिक दल।
इन दलों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। बयान में 26 जनवरी को दिल्ली में हुई घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा गया है कि अगर उसकी निष्पक्ष जांच हुई तो केंद्र सरकार की मिलीभगत सामने आ जाएगी।
बयान में दलों ने कहा है कि किसानों की मांग पर अब तक प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार की प्रतिक्रिया हठपूर्ण और ठंडी रही है। सरकार की इस संवेदनहीनता से वे सदमे में हैं। इसीलिए किसानों के साथ एकजुटता जताते हुए तीनों किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग को दुहराते हुए वे साझा रूप से शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों को राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेंगे।