बैरिकेड तोड़ रेवाड़ी पहुंचे किसानों में नेतृत्व से असंतोष, ‘असामाजिक तत्व’ कहे जाने पर रोष


गुरुवार 31 दिसंबर को हरियाणा पुलिस के बैरिकेड तोड़कर दिल्ली की ओर बढ़े किसानों ने हरियाणा के रेवाड़ी जिले के संगवारी चौक के पास पड़ाव डाल लिया है। ये किसान राजस्थान-हरियाणा के शाहजहांपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में पिछले कुछ समय से बैठे हुए थे। इनमें ज्‍यादातर गंगानगर और हनुमानगढ़ से आये थे। इन किसानों में नेतृत्‍व को लेकर बहुत गुस्‍सा है, जिसके बारे में इनका आरोप है कि कुछ नेताओं के कहने पर पुलिस ने उन्‍हें पीटा।

एक किसान जगजोत सिंह कहते हैं, “जब किसान बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ रहे थे तो वहां मौजूद किसान नेता माइक पर बोलकर यह बता रहे थे कि जो दिल्ली कूच कर रहे हैं वो किसान नहीं असामाजिक तत्व हैं। नेताओं के इतना कहने भर के बाद ही पुलिस ने हमारे ऊपर लाठीचार्ज शुरू कर दिया और आंसू गैस के गोले छोड़ने शुरू कर दिए। अब बताइए, वह कैसे नेता हुए हमारे, जो हमें कहकर पुलिस से पिटवा रहे हैं।”

घटना गुरुवार दोपहर की है जब करीब 2 बजे हल्‍की ठंड में कोई 60 ट्रैक्टरों पर सवार करीब 500 किसानों ने भारी-भरकम बैरिकेडों को तोड़ दिया और पत्थरों को राह से हटा दिया। हरियाणा की सीमा में दाखिल होकर उन्‍होंने जब दिल्ली की तरफ मार्च शुरू किया, तब पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। किसान नहीं रुके। पुलिस के लाठीचार्ज में तीन किसान घायल हो गए, जिसमें एक गुरजीत को गंभीर चोटें आयी हैं।

बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़े इन किसानों के जत्थे में गंगानगर के गांव घड़साना से आये किसान मनोहर शेरगिल के नीले फार्मट्रैक 60 ट्रैक्टर का आगे का बम्पर बैरिकेडों को तोड़ने के कारण मुड़ गया है। मनोहर ने बताया, “हम सभी किसानों ने दिल्ली कूच करने की ठान ली थी। योगेंद्र यादव जैसे नेता, जो किसानों को सिंघु से बुराड़ी मैदान लेने गये थे, वही नेता हमें आगे दिल्ली कूच करने से भी रोक रहे थे। उन्होंने हमें बहुत रोकने की कोशिश की, लेकिन हम सभी किसान आगे बढ़ने की ठान चुके थे।”

दरअसल, दिल्‍ली कूच करने को लेकर तनाव 30 दिसंबर से ही पैदा होना शुरू हुआ जब किसानों ने योगेंद्र यादव से दिल्‍ली कूच करने के बाबत बात की और उन्‍होंने इनकार कर दिया। हनुमानगढ़ के गांव रोमाना चक से आये पवनदीप सिंह ने मुझे बताया, “हम किसानों ने 30 दिसंबर की शाम को वहां पर किसान नेता बने बैठे योगेंद्र यादव जी से दिल्ली चलने के लिए पूछा तो उन्होंने कहा कि वह आगे जाने के हक़ में नहीं हैं। हमने दोबारा पूछा कि अगर हम बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ें तो आप हमारे साथ आएंगे या नहीं, तब भी उन्होंने साफ मना कर दिया।”

अगली सुबह यानी 31 दिसंबर को गुरुद्वारे का लंगर खाने के बाद कुछ किसान दोबारा योगेंद्र यादव के पास गये। उन किसानों में पवनदीप भी एक थे। पवनदीप ने बताया, “हम दोबारा उनके पास यह बताने गये थे कि हम लोग बैरिकेड तोड़कर आगे जा रहे हैं। आगे हमारा जब मंच आएगा तो आप वहां मत आना।”

वहां मौजूद किसान शरणदीप बताते हैं, “पुलिस ने हमें रोकने के लिए लाठीचार्ज किया। वाटर कैनन भी चलाने की कोशिश की, लेकिन किसान नहीं रुके। पुलिस हमारे आखिरी ट्रैक्टर पर सवार किसानों को पीटने लगी और उनके पहियों की हवा निकाल दी।”

लाठीचार्ज, आंसू गैस और वाटर कैनन चलाने के सवाल पर रेवाड़ी जिले के डीएसपी राजेश कुमार ने बताया, “जब किसान बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ रहे थे तो हमने आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल जरूर किया था, लेकिन लाठीचार्ज नहीं किया। न ही हमने किसी किसान की गिरफ्तारी की है और न ही कोई किसान या पुलिस का जवान इसमें चोटिल हुआ है।”

पुलिस द्वारा किये गये लाठीचार्ज में घायल हुए किसान सुखजीत सिंह ने मुझे बताया, “मेरे दायें पैर के घुटने में चोट आयी है, लेकिन मुझे अपने उन किसान साथी की चिंता ज्‍यादा है जिनके सिर में गंभीर चोटें आयी हैं। मुझे उम्मीद है कि किसान साथी गुरजीत जल्दी स्वस्थ होकर हमारे बीच दोबारा संघर्ष में पहुंचेंगे और इन तीनों काले कानूनों को वापस करवाकर हमारे साथ घर जाएंगे।”

किसानों को खास गुस्‍सा योगेंद्र यादव से है। उनका मानना है कि यादव किसान आंदोलन के भीतर दोहरी भूमिका निभा रहे हैं।

किसान प्रभजोत सिंह कहते हैं, “जो वहां नेता बने बैठे हैं वो एक किसान भी लेकर नहीं आये हैं। शाहजहांपुर मोर्चे पर बैठकर योगेंद्र यादव जैसे नेता टीवी न्यूज वालों से ऐसे बातें करते हैं, जैसे सारे किसान उन्हीं के संगठन से हों जबकि सच यह है कि उनके पास किसान तो दूर, खुद का ट्रैक्टर ट्रॉली तक नहीं है। हमारी कौम को जितना दुश्मनों से खतरा है, उतना ही ऐसे गद्दारों से भी खतरा है जो माइक पर किसानों को असामाजिक तत्व बोलकर पुलिस से पिटवा देते हैं।”

हमने योगेंद्र यादव से फोन पर बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। ख़बर लिखे जाने तक उन्‍हें भेजे संदेश का जवाब नहीं आया था।


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